मुर्गी पर बाल कविता…….
मुर्गी पर बाल कविता
मुर्गी पर बाल कविता
चिड़िया पर बाल कविता रंग-बिरंगी, प्यारी चिड़ियासुंदर-सुंदर न्यारी चिड़ियाउड़ती क्यारी-क्यारी चिड़ियालगती बड़ी दुलारी चिड़िया ॥
जब भी कभी हम खुले आसमाँ बैठते है /दीपक राज़ जब भी कभी हम खुले आसमाँ बैठते हैज़मीं से भी होती है ताल्लुक़ात जहाँ बैठते है ये जो फूल खिल रहे है ये जो भौंरे उड़ते हैंअच्छा लगता है जब अपनो से अपने जुड़ते हैं पत्ते झर झर करते हैं हवाए सायं सायं चलती हैमदहोस … Read more
सागर- मनहरण घनाक्षरी पोखर व झील देखो , जिसमें न गहराई ,थोड़ा सा ही जल पाय, मारते उफान हैं I सागर को देखो वहाँ , नदियाँ हैं कई जहाँ ,सबको समेट हिय , करे न गुमान है I जिसका न ओर छोर , दिल में अथाँह ठोर ,सबको ही एक रस , देता सम्मान है … Read more
वन दुर्दशा पर हिंदी कविता अब ना वो वन हैना वन की स्निग्ध छायाजहाँ बैठकर विक्रांत मनशांत हो जाता थाजहाँ वन्य जीव करती थी अटखेलियाँजहाँ हिरनों का झुण्ड भरती थी चौकड़ियाँवन के नाम पर बचा हैमिलों दूर खड़ा अकेला पेड़कुछ पेड़ों के कटे अवशेषया झाड़ियों का झुरमुटजो अपनी दशा पर है उदासबड़ी चिंतनीय बात हैवनों … Read more