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  • कलम के सिपाही -मुंशी प्रेमचंद जी

    कलम के सिपाही -मुंशी प्रेमचंद जी

    कलम के सिपाही -मुंशी प्रेमचंद जी

    कलम के सिपाही -मुंशी प्रेमचंद जी


    मेरे मूर्धन्य मुंशी प्रेमचंद जी
    थे बड़े ” कलम के सिपाही “
    अब…….”भूतो न भविष्यति”
    हे ! मेरे जन जन के हमराही !

    उपन्यास सम्राट व कथाकार
    जनमानस के ये साहित्यकार,
    गरीब-गुरबों की पीड़ा लिखते
    थे अन्नदाता के तुम पैरोकार !

    समस्याएँ,,,,संवेदनाओं का
    करते थे मार्मिक शब्दांकन,
    ‘झंकृत और चमत्कृत’ रचना
    होते भावविभोर चित्रांकन !

    ये रूढ़िवादी परम्पराओं का
    करते थे गज़ब..का विवेचन ,
    कुरूतियों से निकालने का
    करते चिंतन और उन्मोचन !

    इनकी कालजयी रचनाओं से
    गुंजित हो उठा साहित्य गगन,
    जन्मदिन पर धनपतराय को
    मेरा अनेकोनेक सादर नमन !

    — *राजकुमार मसखरे*

  • मुंशी प्रेमचंद जी पर दोहे

    मुंशी प्रेमचंद जी पर दोहे

    मुंशी प्रेमचंद जी पर दोहे

    मुंशी प्रेमचंद

    प्रेमचंद साहित्य में,एक बड़ी पहचान।
    कथाकार के नाम से,जानत सकल जहान।।

    उपन्यास लिखते गए,कफ़न और गोदान।
    प्रेमचंद होते गए,लेख क्षेत्र सुल्तान।।

    रही गरीबी बचपना,करते श्री संघर्ष।
    मिली एक दिन नौकरी,जीवन में उत्कर्ष।।

    गाँधी के सानिध्य में,प्रेम किए सहयोग।
    फौरन छोड़ी नौकरी,समय लेख उपयोग।।

    ✒️ *परमेश्वर अंचल*

  • उपवास का महत्व

    उपवास का महत्व

    kavita
    hindi gadya lekh || हिंदी गद्य लेख

    धरा पर मानव जीवन अपने आप में एक अमूल्य सौगात है। भारतीय संस्कृति में उपवास को धर्म की परिधि में रखा गया है।आदि काल से ही हमारे मनीषियों ने स्वस्थ मानव जीवन की प्राप्ति हेतु अनेक उपाय सुझाये। हमारे ग्रंथ भी हमें शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रखने हेतु तत्पर हैं। हमारे धर्म ग्रंथों में आस्था की महत्ता रही है। पूजा पाठ के दौरान उपवास को प्राथमिकता दी गयी है।

    उपवास का अर्थ

    उपवास का अर्थ है – उप+ वास, अर्थात आपकी आत्मा में परमात्मा का वास ही उपवास है। उपवास में तीन चीजों की आवश्यकता होती है-संयम, नियम का पालन, देवाराधन (लक्ष्य के निष्ठा)। इन तीनों के कारण मन में आस्था और विश्वास की वृद्धि होती है।

    उपवास का दूसरा नाम

    उपवास का दूसरा नाम है संयम। चाहे खाने पीने की चीजों का हो या मन मस्तिष्क पर संयम या विचारों का संयम होना ही उपवास है। वास्तव में उपवास मानव शरीर की जैविक क्रियाओं को आराम देने की एक परंपरा है। उपवास मन की उद्विग्नता को शांत करके मानसिक शांति देने का एक स्तंभ है।

    उपवास के द्वारा तनाव , चिंता व अवसाद जैसी भयंकर मानसिक स्थिति से बचा जा सकता है। एक तरफ जहाँ हमें लगता है हमारे इष्ट खुश रहे हैं , उससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है । वहीं दूसरी तरफ शरीर के अंगों को आराम मिलने से वे फिर से उचित गति से अपने कार्यों का निष्पादन करने लगते हैं और दीर्घायु जीवन यापन में मदद करते हैं।

  • उफ! ये सावन जब भी आता है

    उफ! ये सावन जब भी आता है

    “उफ!ये सावन जब भी आता है”

    उफ! ये सावन जब भी आता है

    वो बचपन की मस्ती,वो तोतली बोली,
    वो बारिश का पानी,और बच्चों की टोली,
    वो पहिया चलाना और नाव बनाना,
    माँ का बुलाना और हमारा न आना,
    वो अनछुए पल याद दिलाता है
    “उफ!ये सावन जब भी आता है”।।।1।।

    लड़कपन में लड़ना और फिर मचलना
    दोस्तों का मनाना हमें फिर मिलाना
    मैदान के कीचड़ में गिरना-गिराना
    और माँ से वो गंदे कपड़े छुपाना
    वो अनछुए पल याद दिलाता है
    “उफ!ये सावन जब भी आता है”।।।2।।

    यौवन की दुनिया में आकर निखरना
    किसी अजनबी से मिलकर बहकना
    दिल का धड़कना वो बेचैन होना
    कभी याद करके हँसना फिर रोना
    पापा का डाँटना और माँ का समझाना
    वो अनछुए पल याद दिलाता है
    “उफ!ये सावन जब भी आता है”।।।3।।

    अचानक से फिर समय का बदलना
    वो परिवार के साथ बाहर निकलना
    वो छतरी उड़ाना और भुट्टे खाना
    बच्चों को सावन के झूले झुलाना
    माता-पिता बनकर कर्तव्य निभाना
    वो अनछुए पल याद दिलाता है
    “उफ!ये सावन जब भी आता है”।।।4।।

    समय की कश्ती का फिर यूँ पलटना
    बढ़ती हुई उम्र की सीढ़ियाँ चढ़ना
    कमरे में बैठकर बारिश के मजे लेना
    चाय की चुस्की , बेबाक़ बात करना
    पोते-पोतियों को अपने किस्से सुनाना
    वो अनछुए पल याद दिलाता है
    “उफ!ये सावन जब भी आता है”।।।5।।
    ।।।दीप्ता नीमा।।।
    इंदौर
    (शिक्षा- एम.एस.सी, बी.एड ,बी.जे.एम.सी)

  • जनसंख्या वृद्धि

    जनसंख्या वृद्धि

    11 जुलाई 1987 को जब विश्व की जनसंख्या पाँच अरव हो गई तो जनसंख्या के इस विस्फोट की स्थिति से बचने के लिए इस खतरे से विश्व को आगाह करने एवं बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने हेतु 11 जुलाई 1987 को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा की गई। तब से ग्यारह जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है।

    जनसंख्या वृद्धि

    बड़ी भीड़ है, भरी भीड़ है आबादी इतनी देश की,
    संसाधनों की कमी बड़ी है। धरती का घटतासा जलस्तर
    चिंता का विषय बड़ा है।
    ऑक्सीजन की कमी के चलते,
    आक्सीजन सिलेंडर का व्यापार चल पड़ा
    है चिंता आने वाले कल की
    बॉटल में न आक्सीजन बिके,
    जैसे बिके जल धरती पर | साइकिल चलाना, स्वस्थ रहना
    पेट्रोल बचाना आमदनी बड़ाना
    आने वाली पीढ़ी के लिए,

    वृक्ष लगाना कार्बनडाइ ऑक्साइड को दूर भगाना
    सौर ऊर्जा का महत्व समझाना,
    विद्युत बचाना, व्यय कम करना
    हर चीज़ की कीमत पहचानना
    बड़ती आबादी के चलते,
    बेरोजगारी को दूर भगाना एक बेटी पर नसबंधी करवाना,
    क्या ?
    है हिम्मत यह कर पाने की
    अगर है, देश के लिए कुछ करना
    तो इसलिए है कदम उठाना ।
    जय हिंद, जय भारत.

    बड़ी भीड़ है, भरी भीड़ है आबादी इतनी देश की,
    संसाधनों की कमी बड़ी है। धरती का घटतासा जलस्तर
    चिंता का विषय बड़ा है।
    ऑक्सीजन की कमी के चलते,
    आक्सीजन सिलेंडर का व्यापार चल पड़ा
    है चिंता आने वाले कल की
    बॉटल में न आक्सीजन बिके,
    जैसे बिके जल धरती पर | साइकिल चलाना, स्वस्थ रहना
    पेट्रोल बचाना आमदनी बड़ाना
    आने वाली पीढ़ी के लिए,

    वृक्ष लगाना कार्बनडाइ ऑक्साइड को दूर भगाना
    सौर ऊर्जा का महत्व समझाना,
    विद्युत बचाना, व्यय कम करना
    हर चीज़ की कीमत पहचानना
    बड़ती आबादी के चलते,
    बेरोजगारी को दूर भगाना एक बेटी पर नसबंधी करवाना,
    क्या ?
    है हिम्मत यह कर पाने की
    अगर है, देश के लिए कुछ करना
    तो इसलिए है कदम उठाना ।
    जय हिंद, जय भारत.
    -Yashika Lalwani
    Ujjain(M.P