मोहब्बत की कविता-कोई मेरी ओर नहीं है
मोहब्बत के रास्ते में इम्तिहानो का सिलसिला दर्शाती ये कविता
मोहब्बत के रास्ते में इम्तिहानो का सिलसिला दर्शाती ये कविता
प्रकृति से खिलवाड़ और अनावश्यक विनाश करने का गंभीर परिणाम हमे भुगतना पड़ेगा। जिसके जिम्मेदार हम स्वयं होंगे।
समय रहते संभल जाएं। प्रकृति बिना मांगे हमे सब कुछ देती है।उनका आदर और सम्मान करें। संरक्षण करें।
भौतिकता की होड़ में मानव ने प्रकृति के साथ बहुत छेड़छाड़ की है। अपने विकास की मद में खोया मानव पर्यावरण संतुलन को भूल गया है। इस प्रकार के कृत्यों से ही आज कोरोना जैसी महामारी से मानव जीवन के अस्तित्व खतरे में दिख रहा है।
प्रकति पर सुंदर चित्रण किया गया है।
विधाता छंद में प्रार्थना विधाता छंद१२२२ १२२२, १२२२ १२२२. प्रार्थना.सुनो ईश्वर यही विनती,यही अरमान परमात्मा।मनुजता भाव मुझ में हों,बनूँ मानव सुजन आत्मा।.रहूँ पथ सत्य पर चलता,सदा आतम उजाले हो।करूँ इंसान की सेवा,इरादे भी निराले हो।.गरीबों को सतत ऊँचा,उठाकर मान दे देना।यतीमों की करो रक्षा,भले अरमान दे देना।.प्रभो संसार की बाधा,भले मुझको सभी देना।रखो ऐसी कृपा … Read more