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सरसी छंद विधान / बीत बसंत होलिका आई/ बाबू लाल शर्मा

सरसी छंद का विधान निम्नलिखित है: उदाहरण के रूप में: सरसी छंद विधान / बीत बसंत होलिका आई/ बाबू लाल शर्मा बीत बसंत होलिका आई,अब तो आजा मीत।फाग रमेंगें रंग बिखरते,मिल गा लेंगे गीत। खेत फसल सब हुए सुनहरी,कोयल गाये…

सार छंद विधान -ऋतु बसंत लाई पछुआई

सार छंद विधान -ऋतु बसंत लाई पछुआई सार छंद विधान- (१६,१२ मात्राएँ), चरणांत मे गुरु गुरु, ( २२,२११,११२,या ११११) ऋतु बसंत लाई पछुआई,बीत रही शीतलता।पतझड़ आए कुहुके,कोयल,विरहा मानस जलता। नव कोंपल नवकली खिली है,भृंगों का आकर्षण।तितली मधु मक्खी रस चूषक,करते…

हे प्रभु मेरी विनती सुन लो – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “

इस रचना में प्रभु भक्ति के माध्यम से जीवन को दिशा मिले इसका प्रयास किया गया है |
हे प्रभु मेरी विनती सुन लो , प्रभु दर्शन की आस जगा दो - भजन - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम "

चंद फूलों की खुशबू – अनिल कुमार गुप्ता

यह एक ग़ज़ल है जिसमे जिन्दगी को रोशन किस तरह से किया जाए इस बारे में जिक्र किया गया है |
चंद फूलों की खुशबू से कुछ नहीं होता - ग़ज़ल - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम "

कोशिश फिर से करते हैं

कोशिश फिर से करते हैं आओ एक कोशिश फिर से करते हैं,टूटी हुई शिला को फिर से गढ़ते हैं।आओ एक कोशिश फिर से करते हैं,हाँ, मैं मानता हूँइरादे खो गए,हौसले बिखर गए,उम्मीद टूट चुकी,सपनों ने साथ छोड़ दिया,हमने कई अपनों…