गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।
भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।
राम/श्रीराम/श्रीरामचन्द्र, रामायण के अनुसार,रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता के पति व लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता थे। हनुमान उनके परम भक्त है। लंका के राजा रावण का वध उन्होंने ही किया था। उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता तक का त्याग किया।
राम नाम ही सत्य रहेगा / उपमेंद्र सक्सेना एड०
वर्ष पाॅंच सौ गुजरे रोकर, अब हमको आराम मिला। इतने पापड़ बेले तब ही, भव्य राम का धाम मिला।।
सच्चे राम- भक्त जो होते, नहीं किसी से वे डरते। भोले बाबा उनकी सारी, इच्छाएँ पूरी करते।। जय बजरंग बली की बोलें, वे कष्टों को हैं हरते। जो उनसे नफरत करते हैं, देखे घुट-घुट कर मरते।।
राम लला आजाद हो गए, सुख अब आठों याम मिला। इतने पापड़ बेले तब ही, भव्य राम का धाम मिला।।
सदा आस्था रही राम में, अब तक थे हम दबे हुए। जो बाधा बनकर आए थे, जल- भुन काले तबे हुए।। मर्यादाओं के मीठे में, आज पके सब जबे हुए। संघर्षों के चने यहाॅं पर, लगते हैं सब चबे हुए।।
आज अयोध्या नगरी को भी, एक नया आयाम मिला। इतने पापड़ बेले तब ही, भव्य राम का धाम मिला।।
राम -नाम ही सत्य रहेगा, तो हम क्यों उसको छोड़ें। ‘सत्यमेव जयते’ से भी हम, कभी न अपना मुॅंह मोड़ें।। राम -राज्य भी अब आया है, उससे हम नाता जोड़ें। बाधाओं की यहाॅं बेड़ियाॅं, मिलजुल कर हम सब तोड़ें।।
जिनके सपने भटक रहे थे, उनको एक मुकाम मिला। इतने पापड़ बेले तब ही, भव्य राम का धाम मिला।।