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  • भोर गीत-राजेश पाण्डेय वत्स

    भोर गीत


    ये सुबह की सुहानी हवा
    ये प्रभात का परचम।
    प्रकृति देती है ये पल
    रोज रोज हरदम।।

    आहट रवि किरणों की
    सजा भोर का गुलशन।
    कर हवाओं संग सैर
    भर ले अपना दामन।।

    उठ साधक जाग अभी
    दिन मिले थे चार।
    बीते न ये कीमती पल
    खो न जाये बहार।।

    कदम बढ़ा न ठहर अभी
    मंजिल आसमान में।
    स्वर्ग बना धरा को और
    राम नाम जुबान में।।

    –राजेश पान्डेय वत्स
  • खुदा से फरियाद पर कविता -माधवी गणवीर

    खुदा से फरियाद पर कविता

    या खुदा मुझे ऎसी इनायत तो दे,
    मोहब्बत के बदले मोहब्बत तो दे।

    खटक रहे है हम जिनकी निगाहों में,
    आजमाइश के बदले आजमाइश तो दे।
    न मुकर अपनी ही जुबां से ,
    ईमान के बदले ईमान तो दे।

    बजा कर अपनी ढ़फली अपना राग,
    तरन्नुम के बदले तरन्नुम तो दे।
    हमने जफा न सीखी तुमने वफा न निभाई,
    इनायत के बदले इनायत तो दे।

    कभी न ख़तम होगा इश्क का दरिया
    इजाजत के बदले इजाजत तो दे।

    या खुदा मुझे ऎसी इनायत तो दे,
    मोहब्बत के बदले मोहब्बत तो दे।

    माधवी गणवीर

    राजनांदगांव
    छत्तीसगढ।
  • साजन की याद में कविता -केवरा यदु मीरा

    साजन की याद में कविता

    प्रेमी युगल
    प्रेमी युगल

    रिमझिम बरखा के आने से प्रिय याद तुम्हारी आई।
    मेरे मन के आँगन में फिर गूँज उठी शहनाई।
    प्रिय याद तुम्हारी आई।।

    बाट जोहती साँझ सबेरे आयेंगे अब साजन।
    मन ही मन मैं झूमती गाती बजते चूड़ी कंगन।
    रिमझिम रिमझिम बूँदिया बरसे हो ——–

    संग चले पुरवाई प्रिय याद तुम्हारी आई।।

    कजरा गजरा माथे बिंदिया मोतियन माँग सजाई।
    हाँथो में तेरे नाम की मेंहदी साजन मैने रचाई।
    ये मन प्यासा चातक बन हो——

    इक बूँद की आस लगाई प्रिय याद तुम्हारी आई।।

    धानी चुनरिया आज पहन कर ड़ोलूं मैं इठलाती।
    आयेंगे साजन सावन में भेजी मैने पाती।
    पड़ते नहीं पाँव धरा पे हो——-

    पड़ते नहीं पाँव धरा पे फिरती मैं बौराई।।
    प्रिय याद तुम्हारी आई।

    हाँथो में ले हाँथ सजन बरखा में भीगने आना।
    नैनन से हो नेह की बतिया गीत प्रीत के गाना।
    मिले अधर से अधर हो——-

    मिले अधर से अधर मैं नैन मूंद शरमाई।।
    प्रिय याद तुम्हारी आई।

    रिमझिम बरखा के आने से प्रिय याद तुम्हारी।
    मेरे मन के आँगन में फिर गूँज उठी शहनाई।
    प्रिय याद तुम्हारी आई।।
    प्रिय याद तुम्हारी आई।।

    केवरा यदु “मीरा “

    राजिम(छत्तीसगढ़)
  • चाँदनी और लाल परी पर कविता

    चाँदनी और लाल परी पर कविता

    चांदनी पर कविता

    चौदहवीं का चाँद है तू कहूँ या कुदरत की जादूगरी ।
    जन्नत से इस धरती पर तू किसके लिये उतरी ।।

    ओ मेरी चाँदनी ओ मेरी लाल परी।

    रूप सलोना ऐसा जैसे खिलता हुआ गुलाब ।
    लाल परी है तू रानी तेरा नहीं जवाब ।
    तुझे देख कर गोरी हमने ऽऽऽ
    तुझे देख कर गोरी हमने अपनी सुध बिसरी ।।
    जन्नत से इस धरती पर तू किसके लिये उतरी ।।

    कजरारी अँखियां तेरी हिरणी जैसी चाल ।
    काली घटा शरमाये गोरी देख के तेरे बाल ।
    फूल चमन बरसाये ऽऽऽ
    फूल चमन बरसाये जिस राह से तू गुजरी।।
    जन्नत से इस धरती पर तू किसके लिये उतरी ।।

    गोरे गोरे गाल पे तेरे शर्मो हया की लाली ।
    एक नजर तू ड़ाल दे जिधर छा जाये हरियाली ।
    तू जन्नत की हूर है ऽऽऽ
    तू जन्नत की हूर है या कोई लाल परी ।।
    जन्नत से इस धरती पर तू किसके लिये उतरी ।।

    लाल चुनरिया ओढ़ निकली जड़े है चाँद सितारे ।
    एक झलक पा जाये तेरी वो मर जाये बिन मारे।
    सज बन कर न निकलो गोरी ऽऽऽ
    सज बन कर न निकलो गोरी जग की नजर बुरी ।।
    जन्नत से इस धरती पर तू किसके लिये उतरी ।।

    चौदहवीं का चाँद है कहूँ या कुदरत की जादूगरी ।
    जन्नत से इस धरती पर तू किसके लिये उतरी ।।

    केवरा यदु “मीरा “
    राजिम
  • क्रिसमस डे -कवि डीजेन्द्र कुर्रे ‘कोहिनूर’

    क्रिसमस डे

    सर पे टोपी हाथ मे क्रिसमस,
    चलो सांता बनते हैं।
    प्रभु के जन्म दिवस पर,
    पुनीत कर्म हम करते हैं ।

    बच्चों के साथ मिलकर,
    हँसी ठिठोली करते हैं।
    खूब नाचे हम खूब गाए,
    बच्चों के मन बहलाते है।

    चलो गिरजाघर जाकर,
    प्रभु के महिमा गाते हैं।
    पवित्र बाइबिल पड़कर,
    ध्यान मसीह में लगाते है।

    आओ सब मिलकर ,
    क्रिसमस उत्सव मनाते हैं।
    दिनदुखियों की सेवा कर,
    नये नये उपहार बाँटते है।
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    रचनाकार-डिजेंद्र कुर्रे “कोहिनूर”
    पीपरभावना,बलौदाबाजार (छ.ग.)

    मो. 8120587822