Blog

  • दर्द के जज़्बात

    दर्द के जज़्बात

    अवाम दिखाती दर्द के जज़्बात, 
    पर हुकूमत क्या समझे ? 
    कही अनकही बात, 
    लोगों का पैसा तो नहीं खैरात! 
    आखिर इन गै़रकानूनी से 
    कब मिलेगी निजात? 
    ग़ुरूर करवा देगी
    एक दिन 
    इंकलाब से मुलाक़ात, 
    जब करे हुकूमत ही जारी करेगी
    मनचाहे मनचले फरमान। 
    आम आदमी का
    ना हो नुकसान। 
    ग़लत फैसलों से ना करे परेशान,
    हुक्मरान न लें सब्र का इम्तिहान ।।

    -राजशेखर
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • ग़ज़ल – रात भर बैठ कर

    ग़ज़ल – रात भर बैठ कर

    घात काटी गई रात भर बैठ कर ।
    याद काटी गई रात भर बैठ कर ।।

    इश्क पर बंदिशें साल दर साल की। 
    म्यांद काटी गई रात भर बैठ कर ।।

    हिज्र की रात में, आपकी याद में। 
    रात काटी गई रात भर बैठ कर ।।

    बोलना था हमें बोलना था तुम्हें। 
    बात काटी गई रात भर बैठ कर ।।

    नील हूँ मैं तिरा तू है जोया मिरी।
    जात काटी गई रात भर बैठ कर ।।

    ✍️नील सुनील

  • तुम नहीं होती तब – नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

    तुम नहीं होती तब


    चादर के सलवटों में
    बेतरतीब बिखरे कपड़ों में
    उलटे पड़े जूतों में
    केले और मूंगफली के छिलकों में
    लिखे,अधलिखे और अलिखे 
    मुड़े-तुड़े कागज़ के टुकडों में 
    खुद बिखरा-बिखरा-सा पड़ा होता हूँ

    मेरे सिरहाने के इर्द-गिर्द
    एक के बाद एक 
    डायरी,दैनिक अख़बारों,पत्रिकाओं,
    कविताओं, गजलों
    और कहानियों की कई पुस्तकें
    इकट्ठी हो होकर
    ढेर बन जाती हैं

    अनगिनत भाव और विचार
    एक साथ उपजते रहते हैं
    चिंतन की प्रक्रिया लगातार
    चलती रहती है
    कई भाव 
    उपजते हैं विकसते हैं और शब्द बन जाते हैं
    कई भाव
    उपजते हैं और विलोपित हो जाते हैं

    विचारों में डूबे-डूबे
    कभी हँस लेता हूँ
    कभी रो लेता हूँ
    कभी बातें करता हूँ
    गाली या शाबाशी के शब्द
    निकल जाते हैं कई बार
    बस इसी तरह रोज
    विचार और रात दोनों गहरे होते जाते हैं

    सो जाता हूँ पर 
    नींद में भी कई विचार पलते रहते हैं
    अमूमन ऐसे ही कटते हैं मेरे दिन
    जब-जब तुम नहीं होती….।

    — नरेन्द्र कुमार कुल

    मित्र

    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • दशहरा पर कविता-शैलेन्द्र कुमार चेलक

    किसी भी राष्ट्र के सर्वतोमुखी विकास के लिए विद्या और शक्ति दोनों देवियों की आराधना और उपासना आवश्यक है। जिस प्रकार विद्या की देवी सरस्वती है, उसी प्रकार शक्ति की देवी दुर्गा है। विजया दशमी दुर्गा देवी की आराधना का पर्व है, जो शक्ति और साहस प्रदान करती है। यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। विजया दशमी का पर्व दस दिनों तक (प्रति पदा से दशमी तक) धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें कई प्रकार की पूजा होती है। नवरात्र पूजा, दुर्गा पूजा, शस्त्र पूजा सभी शक्ति की प्रतीक दुर्गा माता की आराधना और उपासना है। अतीत में इस देवी ने दुष्ट दानवों का वध करके सामान्य जन और धरती को अधर्मियों से मुक्त किया था।

    दशहरा पर कविता

    जैसे नया वर्ष आते ही ,
    लोग मन ही मन संकल्प लेते हैं ,
    आत्म आंकलन कर ,
    सच का विकल्प लेते हैं ,
    बुराइयों को छोड़ ,
    अच्छाईयों को अपनाएंगे ,
    गौतम -गांधी की तरह ,
    हम भी अच्छे बन पायेंगे ,
    वैसे ही कोई हिन्दू दशहरा के दिन 
    रावण दहन के बाद ,
    और कोई मुस्लिम ईद पर 
    नमाज़ के बाद ,
    पर जैसे -जैसे दिन गुज़रता है
    रावण फिर जिंदा हो जाता है ,
    और हमारी सारी संकल्प  
    धरि की धरि रह जाती है ,
    अन्तर्रात्मा यह 
    बार बार कह जाती है 
    सब में ज्ञान और योग्यता अंतर्निहित है ,
    फिर यह कैसी विरोधाभास है,
    पल -पल जिंदा होता है रावण ,
    हर कही उसी का आभास है ,
    रावण के नाना रूप दिखते हैं 
    कुछ बिकवाता है ,कुछ स्वयं बिकते है,
    अत्याचारी ,भ्रष्टाचारी ,आतंकवादी ,
    ये सब लूटते हैं असहाय जनो को ,
    दुरस्त बसे निर्धनों को ,
    क्योंकि कुछ  तो लूटने को , 
    खुद को लुटाते है ,
    पता नही ये पैदा करते हैं रावण 
    या आप ही आप पनप जाते हैं,
    हाल ऐसा ही रहा तो 
    घर में ही बार -बार सीता का हरण होगा ,
    राम जैसे कहते रह जाएंगे ,
    मुस्कुरा रहा रावण होगा ,
    अट्टहास करते बुराई (रावण) को ,
    न आने दो मन मे ,
    राम धारो आत्मा में ,
    अयोध्या हो तन में ,
    रावण देखो अपना ,
    न दुनियावी वन में ,
    राममय दिखे जहाँ ,
    हर किसी का राम हो जीवन मे  ,

    -शैलेन्द्र चेलक

  • रावण दहन पर कविता

    रावण दहन पर कविता

    दशहरा (विजयादशमी व आयुध-पूजाहिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को ‘विजयादशमी’ के नाम से जाना जाता है 

    रावण दहन पर कविता

    shri ram hindi poem.j
    ravan-dahan-dashara

    हम रावण को आज जलाने चले हैं।
    उस के मौत का जश्न मनाने चले हैं।।

    एक रावण अंदर मेरे भी पल है रहा,
    और खुद को श्री राम बताने चले हैं।।

    करते हरण हम रोज एक सीता को,
    और घर में राम मंदिर बनाने चले हैं।।

    निर्बल,असहाय पर जो करते है प्रहार,
    परिचय वीरता का वे दिखाने चले हैं।।

    करते ढोंग बाबा के वेश में रात दिन,
    वो अब राम रहीम कहलाने चले हैं।।

    राम का नाम बदनाम कर रखे हमने,
    और खुद को राम भक्त बताने चले हैं।।

    राजपाठ का लालच कूट कूटकर भरा,
    और हम आज रामराज बनाने चले हैं।।

    ©धनेश्वर पटेल
    रायगढ़ (छ. ग)