उपवन की कचनार कली है
उपवन की कचनार कली है उपवन की कचनार कली है ।घर भर में रसधार ढ़ली है ।।यह दुहिता जग भार नहीं है ।अवसर दो हकदार नहीं है ।।समय सुधा रस सिंचित बेटी ।पथ गढ़ती अब किंचित बेटी ।।नव युग प्रेरक…
उपवन की कचनार कली है उपवन की कचनार कली है ।घर भर में रसधार ढ़ली है ।।यह दुहिता जग भार नहीं है ।अवसर दो हकदार नहीं है ।।समय सुधा रस सिंचित बेटी ।पथ गढ़ती अब किंचित बेटी ।।नव युग प्रेरक…
माँ पर कविता बड़ी हसरत भरी आँखे लिए क्या ताकती है माँ ।नहीं कहती जुबाँ से वो मगर कुछ चाहती है माँ ।।बदलते रोज हम कपड़े नये फैशन जमाने के ,तुम्हे कुछ है पता साड़ी पुरानी टांकती है माँ…
फागुन में पलाश है रंगों भरी दवात फागुन में पलाश है, रंगों भरी दवात ।रंग गुलाबी हो गया, इन रंगों के साथ ।।अँखियों से ही पूछ गया, फागुन कई सवाल ।ख्बावों का संग पा लिया, ये नींदें कंगाल ।।पलट-पलट मौसम…
फागुन आ गया हर्षोल्लास था गुमशुदादौर तलाश का आ गया।गुम हुई खुशियों को लेकरफिर से फागुन आ गया॥झुर्रियां देखी जब चेहरे पर लगा बुढ़ापा आ गया।उम्र की सीमा को तोड़करउत्साही फागुन आ गया॥अहंकार का घना कोहराएकाकीपन छा गया।अंधेरों को चीरकर…
बासंती फागुन ओ बसंत की चपल हवाओं,फागुन का सत्कार करो।शिथिल पड़े मानव मन मेंफुर्ती का संचार करो।1बीत गयी है आज शरद ऋतु,फिर से गर्मी आयेगी.ऋतु परिवर्तन की यह आहट,सब के मन को भायेगी।2कमल-कमलिनी ताल-सरोवर,रंग अनूठे दिखलाते।गेंदा-गुलाब टेसू सब मिलकरइन्द्रधनुष…