नरक चतुर्दशी पर कविता (Poem on Narak Chaturdashi in hindi)

नरक चतुर्दशी पर कविता: नरक क्या है चतुर्दशी और इससे जुडी कविताएँ नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली भी कहते हैं।

इसे छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है क्योंकि दीपावली से एक दिन पहले, रात के समय उसी प्रकार दीए की जगमगाहट से रात के तिमिर को प्रकाश पुंज से दूर भगा दिया जाता है जैसे दीपावली की रात को। 

नरक चतुर्दशी नाम है

नरक चतुर्दशी नाम है
सुख समृद्धि का त्यौहार
रूप चौदस कहते इसे
सुहागने करती श्रंगार

यम का दीप जलाया जाता
सद्भाव प्रेम जगाया जाता
बड़े बुजुर्गों के चरण छू कर
खूब आशीष पाया जाता

छोटी दिवाली का रुप होती
रोशनी अनूप होती
सजावट से रौनक बाजार
दीपो की छटा सरुप होती

खुशियों का त्योहार है
दीपों की बहार है
गणेश लक्ष्मी पूजन में
सज रहे घर बार है

कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू

सारथी बन कृष्ण

सारथी बन कृष्ण ने चलाया था रथ
सत्यभामा ने सहत्र द्रौपदी की लाज हेतु उठाया था शस्त्र
नरकासुर को प्राप्त था वर
होगा किसी स्त्री के हाथों ही उसका वध
माता भूदेवी का था प्रण
पुत्र नरकासुर की मृत्यु के दिन
मनाया जाएगा पर्व
देव यम को भी पूजते आज
रहे स्वस्थ एवं दीर्घायु हम सब
आप सभी को मंगलमय हो नरक चतुर्दशी का यह पर्व….

नरकासुर मार श्याम जब आये

नरकासुर मार श्याम जब आये।
घर घर मंगल दीप जले तब, नरकचतुर्दश ये कहलाये।।

भूप प्रागज्योतिषपुर का वह, चुरा अदिति के कुण्डल लाया,
सौलह दश-शत नार रूपमति, कारागृह में लाय बिठाया,
साथ सत्यभामा को ले हरि, दुष्ट असुर के वध को धाये।
नरकासुर मार श्याम जब आये।।

पक्षी राज गरुड़ वाहन था, बनी सारथी वह प्रिय रानी,
घोर युद्ध में उसका वध कर, उसकी मेटी सब मनमानी,
नार मुक्त की कारागृह से, तब से जग ये पर्व मनाये।
नरकासुर मार श्याम जब आये।।

स्नान करें प्रातः बेला में , अर्घ्य सूर्य को करें समर्पित,
दीप-दान सन्ध्या को देवें, मृत्यु देव यम को कर पूजित,
नरक-पाश का भय विलुप्त कर, प्राणी सुख की वेणु बजाये।
नरकासुर मार श्याम जब आये।।

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया

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