काँटों में राह बनाते हैं – रामधारी सिंह ‘दिनकर’
काँटों में राह बनाते हैं सच है विपत्ति जब आती हैकायर को ही दहलाती हैसूरमा नहीं विचलित होतेक्षण एक नहीं धीरज खोते,विघ्नों को गले लगाते हैं।काँटों में राह बनाते हैं। है कौन विघ्न ऐसा जग मेंटिक सके आदमी के मन में,खम ठोंक ठेलता है जब नरपर्वत के जाते पाँव उखड़,मानव जब जोर लगाता है।पत्थर पानी … Read more