खिलते हैं गुल यहाँ / गोपालदास “नीरज”
खिलते हैं गुल यहाँ / गोपालदास “नीरज” खिलते हैं गुल यहाँ, खिलके बिखरने कोमिलते हैं दिल यहाँ, मिलके बिछड़ने कोखिलते हैं गुल यहाँ… कल रहे ना रहे, मौसम ये प्यार काकल रुके न रुके, डोला बहार काचार पल मिले जो आज, प्यार में गुज़ार देखिलते हैं गुल यहाँ… झीलों के होंठों पर, मेघों का राग … Read more