रामजी विराजेंगे / रमेश कुमार सोनी
रामजी आए हैं संग ख़ुशियाँ लाए हैं
सज-धज चमक रही हैं गलियाँ
पलक-पाँवड़े बिछे हैं सबके
रंगोलियाँ लगी दमकने
हो गए हैं सबके वारे-न्यारे
जन्मों के सोये भाग लगे मुस्काने।
अभागे चीखते रहे
ये बनाओ,वो बनाओ-बनेगा वही जो
‘होइहैं वही जो राम रुचि राखा’,
जगमग हैं घर-घरौंदें
सजधज लौटी है दीवाली
आनंद मगन नाच रहे हैं नर-नारी
अवध-सरयू की प्रतीक्षा हुई है पूरी
रामलला संग आए हैं हनुमन्त जी।
वनवास संग संकल्प पूर्ण हुआ
रामलला हम आएँगे
मन्दिर वहीं बनाएँगे
गगन चहुँओर गूँजे है
जय श्री राम के नारों से।
धन्य हुआ जीवन अपना
विश्वास हमारा जीत गया
धन्य जन्म जो काम आया राम के
पुकार उठा है बच्चा-बच्चा देश का
जय श्री राम-जय श्री राम।