सपनों को साकार करें -प्रेमशंकर रघुवंशी
आओ, हम सब भारत मां की माटी से श्रृंगार करें!
यह वह धरती, जिसने हमको निज उत्सर्ग सिखाया है,
यह वह धरती, जिसने हमको अपना अमिय पिलाया है।
आज उसी धरती की रक्षा में अपने उद्गार करें!
इस जीवन-धन से भी प्यारा हमको अपना देश है,
अलग-अलग हैं पंथ हमारे, किन्तु एक परिवेश है।
आओ, हम-सब राष्ट्र-धर्म के सपनों को साकार करें!
स्वतन्त्रता से बड़ा जगत् में और कौन-सा आभूषण,
स्वतन्त्रता से बड़ा जगत् में और कौन-सा संघर्षण।
इसीलिए अब स्वतन्त्रता के चरणों में उपहार धरें।
-प्रेमशंकर रघुवंशी