Tag: अशोक शर्मा

  • संगीत जीवन का अंग है

    संगीत जीवन का अंग है

    संगीत जीवन का अंग है



    संगीत जीवन का अंग है,
    जो रहता जीवन संग है।

    संगीत उदासी की सहेली है,
    जीवन की दुल्हन नई नवेली है।

    यह साधना का स्वर है,
    गुनगुनाता जग भँवर है।

    संगीत जीवन जीने की युक्ति है,
    शारीरिक मानसिक ब्याधियों से मुक्ति है।

    गायन वादन नृत्य ये संगीत हैं,
    संतुलित जीवन के ये मीत हैं।

    जिसके जीवन में आता है,
    ध्यानशक्ति उसकी बढ़ाता है।

    तनाव दर्द सब दूर करे,
    प्रतिरोधक क्षमता तन में भरे।

    नकारात्मकता को ठग लेता है,
    सकारात्मकता जग में देता है।

    पर्व त्योहारों में रंगत बढ़ाये,
    जन्म से चिता तक साथ जाये।

    जो संगीत को प्रेमिका बनाता है,
    वह प्रेमी जीवन भर सुख पाता है।



    अशोक शर्मा, लक्ष्मीगंज, कुशीनगर,उ.प्र.

  • बंद करो तुम आतंकवाद- अशोक शर्मा (आतंकवाद विरोधी दिवस कविता)

    बंद करो तुम आतंकवाद- अशोक शर्मा (आतंकवाद विरोधी दिवस कविता)

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह


    मानव से मानव का झगड़ा,
    बढ़ रहा है कितना तगड़ा।
    हो रहे हैं नरसंहार,
    देश देश से अत्याचार ।

    मर रहा मानव दोष क्या,
    ऐसा है नर में जोश क्या,
    उन्नति का कैसा आस होता।
    जिसमें मानव विनाश होता।

    सीमाओं का झगड़ा बंद करो,
    आपस का रगड़ा बंद करो,
    दो गज भर मिट्टी की खातिर,
    जाँ लेने में ना बनो शातिर।

    शांति की बातें शांति से,
    हर बात करो मत क्रांति से,
    चुपके से तुम ना वार करो
    मानवता ना शर्मशार करो।

    जो समझे तुम्हें मित्र अपना
    रखो जवाँ मित्रता का सपना।
    पीठ में ना खंजर वार करो,
    मर्यादा ना तार तार करो।

    छवि तेरी ना हो कहीं दुर्बल,
    कहीं छीन ना जाये तेरा संबल
    प्रेम से यारी का हाथ मिलाओ
    विश्व पटल पर मान बढ़ाओ।

    विनास कर क्या करोगे तुम,
    करनी अपनी भरोगे तुम।
    हर जाँ का मूल्य समझना होगा,
    यह घृणित कार्य रुकना होगा।

    सरहदों पर ताना तानी है ,
    खून में सनती जवानी है।
    हो रहे हैं वतन बरबाद ,
    बंद करो तुम आतंकवाद।
    बंद करो तुम आतंकवाद।।



    ●◆●अशोक शर्मा●◆●

  • दूर संचार करेगा विकास का योग -अशोक शर्मा

    इसे सुनेंविश्व दूरसंचार दिवस १७ मई को मनाया जाता है। यह दिन 17 मई 1865 को अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ की स्थापना की स्मृति में विश्व दूरसंचार दिवस के रूप में जाना जाता था। वर्ष1973 में मैलेगा-टोर्रीमोलिनोन्स में एक सम्मेलन के दौरान इसे घोषित किया गया।

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    दूरसंचार पर कविता



    समय पुराने अतीत काल में,
    दूर दराज के हाल चाल में,
    चिट्ठी आती खुशियां लाती,
    बहुत पुराना हाल बताती।


    हाल चाल जब उधर से आवे,
    बड़ी देर समाचार बतावे।
    खबर मिले जब तुरंत हरसावे,
    पर वो खबर बूढ़ी हो जावे।


    फिर आया नव दूर संचार,
    नए तरीके नया विचार।
    पल भर में यह बात सुनावे,
    कब कहाँ कैसे हैं बतलावे।


    भाव दिलों के दूर से आवे,
    अस लागे जैसे पास ही पावे।
    देख देख मुखड़ा हँस हँस कर,
    बात होती चिपक चिपककर।


    और कुछ खास बातों में,
    लिखकर होती रातों रातों में।
    खोज एक से एक अनमोल,
    मैसेज मिलने में कोई न झोल।


    युग ऐसा तरक्की का आया,
    सब कुछ पलमें द्वार है लाया।
    अतिशय बुरा हर चीज का भाई,
    यदि बिन सोचे दुरुपयोग हो जाई।


    संयम से यदि करें उपयोग,
    दूर संचार करेगा विकास का योग।।


    ★★★★★★★★★★★
    अशोक शर्मा 17.05.21
    ★★★★★★★★★★★