आंसू पर कविता
आंसू पर कविता दर्द जब पिघलता है तो बह आते हैं आँसूसुख में हों या हो दुख में रह जाते हैं आँसू विकट वेदना पीर बहेआघातों के तीर सहेकंपित अधरें मौन रहेगूंगी वाणी व्यथा कहे सूनी सूनी पलकों पर हिमकण जम जाते हैं आँसू वेदना जब गीत गाती कोख पीड़ा की भर जाती विदीर्ण होते … Read more