शिव – मनहरण घनाक्षरी
शिव – मनहरण घनाक्षरी उमा कंत शिव भोले, डमरू की तान डोले, भंग संग भस्म धारी, नाग कंठ हार है। शीश जटा चंद्रछवि, लेख रचे ब्रह्म कवि, गंग का विहार शीश, पुण्य प्राण धार है। नील कंठ महादेव, शिव शिवा एकमेव, शुभ्र वेष मृग छाल, शैल ही विहार है। किए काम नाश देह, सृष्टि सार … Read more