नया साल का स्वागत – विजय कन्नौज
आही आही कुछ देके जाही
नया साल कुछ ले के आही।।
जय गंगान
नवा पुराना मा काहे भेद।
अपन करनी अपन मा देख
ऊपर निंधा तरी छेद,
जय गंगान
जइसन करनी तइसन भेद।
कहे कवि विजय के लेख
कुछ करनी कुछ हे भेष
जय गंगान
सुख सुख ल भोगहू मितान
दुख मां झन देहू ध्यान
निज करनी अपन देख
जय गंगान
जउन जयइसन करनी करही
ओ वइसन जगा मा परही
नवा बच्छर के नवा अंजोर
जिनगी के नइये,ओर छोर
जय गंगान
जुन्ना बच्छर के कर विदाई
आपस में झन लड़व भाई
मनखे मनखे एक समान
जय गंगान
जुन जैसन करही,फल उंहे ले पाही
आही आही कुछ कुछ लेके आही।
नया बच्छर हा कुछ लेके आही
जय गंगान
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नया साल का स्वागत – विजय कन्नौज
महामानव यीशु/ डॉ विजय कुमार कन्नौजे
महामानव यीशु/ डॉ विजय कुमार कन्नौजे
जब जब धरा पर होती है अत्याचार।
तब तब प्रभु लेते हैं धरा पर अवतार।।मानवता जब होने लगी धरा पर।
जब धरती होने लगी थी , शर्म सारमानव मानवता भुलकर,करने लगे अत्याचार ।
गरीब अमीर में भेदकर,दीनन पर किया प्रहार।।पच्चीस दिसंबर कोमहामानव
यीशु मसीह लिया अवतार।।
दीन हीन को साध ले, मानवता पाठ पढ़ाया।
ईश कृपा सब सृष्टि है
दया प्रेम को जगाया।।जो कुछ है सब ईश का
ना काहु का कुछ आय।
सत्य दया प्रेम अहिंसा
प्रभू ईशा मसीह बतलाय।।पच्चीस दिसंबर अवतरण दिवस,
दीनन दिये चितलाय।
मानवता के पाठ को,ईश प्रभु बतलाय।।सेवा समर्पण भाव से,सबका
कीजिए सम्मान।
विश्व जगत में छा गया, प्रभु यीशु का नाम।।महामानव होता है, मानवता की पहचान।
जाति धर्म से ऊपर, उठकर करते हैं वो काम।।ना जाति किसी का,ना धर्म किसी का नाम।
मानव का धर्म यही, मानवता का पहचान।।भेद भाव छुआछूत,का किया
यीशु तिरस्कार।।
पच्चीस दिसंबर को अवतण दिवस,
ईसाईयों का त्योहार।।सत्य दया प्रेम अहिंसा सत्संग और अनुराग।
ईश कृपा से सृष्टि रचना है, यीशु मसीह का ज्ञान।।रचनाकार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे छत्तीसगढ़ रायपुर आरंग अमोदी