सिमटी हुई कली मनीभाई नवरत्न Dec 27, 2020 0 सिमटी हुई कलीसिमटी हुई कली ,मेरे आंगन में खिली।शाम मेरी ढली,तब वह मोती सी मिली।रोशनी छुपाए जुगनू सासारी सारी…
बेटी पर घनाक्षरी व कुण्डलियाँ -लक्ष्मीकान्त ‘रुद्रायुष’ कविता बहार Jul 26, 2020 0 बेटी पर घनाक्षरीसुख औ समृद्धि कारी,होती फिर भी बेचारी,क्यों ना जग को ये प्यारी,बेटी अभिमान है।माता का दुलार…