Tag: 14 फरवरी सेंट वेलेंटाइन दिवस पर कविता

14 फरवरी सेंट वेलेंटाइन दिवस

  • प्यार पर कविता / वेलेंटाइन दिवस पर कविता

    प्यार पर कविता / वेलेंटाइन दिवस पर कविता

    प्यार पर कविता

    प्रेम

    प्यार है जीवन का आधार

    एक सत्य जीवन का, प्रेम जीवन का आधार।
    स्नेह प्रेम की भाषा समझे, ये सारा संसार ।

    एक उत्तम फूल धरा पर, जो खिल सकता,वो है प्रेम का फूल।
    मानव हृदय में प्रस्फुटित होता, प्रेम में क्षमा हो जाती हर भूल।

    प्रेम पूर्णिमा के चांदनी जैसी, करती शीतलता प्रदान।
    कभी सूर्य की किरणों सम, तेज ताप कर देती महान।

    प्रेम में सहनशीलता ,प्रेम में समर्पण का भाव।
    प्रेम पिता का प्यार है ,औैर प्रेम ममता की छांव ।

    प्रेम के फूल से महक सकता है, ये सारा संसार।
    प्रेम मिटाए नफरत को औैर मिटाए बैर की दीवार।

    मानव मानसिकता में परिवर्तन, प्रेम से ही संभव है।
    मानवता का आधार प्रेम है, जहां प्रेम वहां मानव है।

    प्रेम परोपकार भाव से,मानवता की ओर ले जाए।
    पाशविक वृत्ति से दूर निकाले , सच्चा मानव हमें बनाए।

    अतिशयोक्ति नहीं है ये सब , पूर्ण सत्य है प्यार।
    प्रेम ही तो होता है , हम सब का जीवन आधार ।

    इश्क समर्पण पर कविता

    मन मयूरा थिरकता है
    संग तेरे प्रियतम
    ढूंढता है हर गली
    हर मोड़ पर प्रियतम

    फूल संग इतराएं कलियां
    भौंरे की गुनगुन
    मन की वीणा पर बजे बस
    तेरी धुन प्रियतम

    सज के आया चांद नभ में
    तारों की रुनझुन
    मै निहारूं चांद में बस
    तेरी छवि प्रियतम

    क्षितिज में वो लाल सूरज
    किरने हैं मद्धम
    दूर है कितना वो
    कितने पास तुम प्रियतम

    बरसे सावन की घटा जब
    छा के अम्बर पर
    छलकती हैं मेरी अंखियां
    तेरे बिन प्रियतम

    ताप भीषण हो गया तम
    उमड़े काले घन
    दाह लगाए बिरहा तेरी
    मुझको ओ प्रियतम

    उमड़ पहाड़ों से ये नदिया
    चली झूम कलकल
    तुमसे मिलने के जुनून में
    जैसे मैं प्रियतम

    पल्लवों पर शबनम, किरने
    थिरके झिलमिल कर
    मेरे अश्कों में छलकते
    तुम मेरे प्रियतम

    लीन तपस्या में कोई मुनि
    अर्पित करता है तनमन
    करूं समर्पण तप सारा
    तुम पर मेरे प्रियतम।।

    शची श्रीवास्तव

    इश्क बिना जीवन में रस नहीं

    प्रेम बिना जीवन में रस नहीं।
    प्रेम करना पर अपने बस में नहीं।
    किसी की आंखों में खो जाता है।
    बस ऐसे ही प्रेम हो जाता है।

    रहता नहीं खुद पर जोर।
    मन भागता है हर ओर।
    पर मिल जाता है मन का मीत
    तब हो जाती है उससे प्रीत।

    लिखते प्रेमी उस पर कविता
    मन रहता जिस पर रीता।
    हृदय बहती प्रेम की सरिता।
    मन की रेखा से प्रेम पत्र लिख जाते ।

    कितने प्रेम ग्रंथ लिख जाते,
    पाकर प्रीतम की एक छवि।
    जैसे ईश्वर को बिन देखे भी
    उनके चित्र बनाते कलाकार। होकर भक्ति में लीन वैसे ही प्रेमी

    बनाते हृदय अपने प्रिय की तस्वीर
    कल्पनाओं को करते साकार। पूजते प्रिय को ईश के समान ।
    इसी लिए कहते जग में सारे । दिल है मंदिर प्रेम है इबादत।

    सरिता सिंह गोरखपुर उत्तर प्रदेश

    उसके नखरे सहे हजार

    वह खुश रहती मेरे साथ,
    और करती है मुझसे बात।
    उसके लिए मैं प्यारा,
    मुझको वो प्यारी।
    उसकी सूरत इस ,
    संसार में सबसे न्यारी।
    आज वो करने लगी,
    मुझसे जान से ज्यादा प्यार।
    क्योंकि मैंने ही अकेले,
    उसके नखरे सहे हजार।

    मेरे लिए वो सजती-संवरती,
    फिर मेरे करीब आती है।
    धीरे से मेरे अधरों पर,
    चुम्बन वो कर जाती है।
    आज भी मेरे लिए वो,
    होकर आती है तैयार।
    क्योंकि मैंने ही अकेले,
    उसके नखरे सहे हजार।।

    कवि विशाल श्रीवास्तव फर्रूखाबादी।

    प्रेम ही जीवन है

    हे प्रिय मैं तुमसे कुछ कहता हूँ
    हाँ आज फिर कुछ लिखता हूँ
    हाँ आज फिर कुछ लिखता हूँ।
    एक तड़प रहती है मिलन की
    तो एक तड़प रहती है जुदाई की
    दोनों के बीच में मैं पिसता हूँ
    हाँ आज फिर कुछ लिखता हूँ।


    तुम हो तो जीवन है
    तुम हो तो है रवानी
    तुम हो तो प्यार है
    तुम हो तो है जिंदगानी
    तुमसे हर दिन हमारा वैलेनटाइन है
    है हर साँस तुम्हारा हमारा
    तुम हमारे दिल में हो
    उम्मीद करू कि मैं भी तुम्हारे दिल में रहता हूं
    हां आज फिर कुछ लिखता हूँ।


    हर दिन अपना वसन्त हो
    हर रात हो अपनी होली
    हर नर नारी के दिल में एक ऐसी आग हो
    जो वतन के लिए खेल दें खूनों की होली
    हे प्रिय मैं हर देशवासी को ये संदेशा कहता हूँ
    हाँ मैं आज फिर कुछ लिखता हूँ ।।

    पवन मिश्र

    कविता के बहाने

    आ गया हूं मैं तेरे पास,
    अपना गीत गुनगुनाने।
    प्रेमी हूं मैं ,
    प्रेम की कविता सुनाने।
    कहना है आई लव यू,
    कविता के बहाने।

    तेरे बिन सूनी है,
    मेरी ये जवानी।
    कैसे बढ़ेगी आगे,
    तेरी मेरी कहानी।
    अब तो चल साथ मेरे,
    आया हूं मैं बुलाने।
    कहना है आई लव यू,
    कविता के बहाने।

    ह्रदय की धड़कन बढ़ रही है,
    तेरी सूरत मेरी आंखों में चढ़ रही है।
    मैंने खत तेरे लिए जो भेजा,
    आज वही आज तू पढ़ रही है।
    आया हूं मैं तेरे प्रति,
    अपना प्रेम जताने।
    कहना है आई लव यू,
    कविता के बहाने।।

    कवि विशाल श्रीवास्तव फर्रूखाबादी

    जो मेरे द्वारे तू आए

    प्राण मरुस्थल खिल-खिल जाए
    साँस-डाल भी हिल-हिल गाए
    छोड़ झरोखे राज महल के
    जो मेरे द्वारे तू आए ।

    जुड़े सभा सपनों की आकर
    आंखों की सूनी जाजम पर
    खेल न पाएँ बूँदें खारी
    पलकों की अरुणिम चादर पर

    चहल-पहल हो मेलों जैसी
    गुमसुम अधरों पर गीतों की
    फुल उदासी झड़े धूल-सी
    खिले जवानी नभ दीपों-सी

    उमर चाल छिपते सूरज-सी
    घबराकर पीली पड़ जाए ।
    छोड़ झरोखे राज महल के
    जो मेरे द्वारे तू आए ।

    शुष्क मरुस्थल-सी सूखी देह से
    फूट पड़ें अमृत के धारे
    दीपदान करने को दौड़ें
    खुशियाँ मुझे जिया के द्वारे

    संगीतमयी संध्या-सी हों
    डूबी-सी धड़कन की रातें
    मानस की चौपाई जैसे
    महकें अलसायी-सी बातें

    झरे मालती रोम-रोम से
    कस्तूरी गंध बदन छाए
    छोड़ झरोखे राज महल के
    जो मेरे द्वारे तू आए ।

    उतर चाँदनी नील गगन से
    पूरे चौका मन आँगन में
    चुनचुन मोती जड़ें रातभर
    सितारे फकीरी दामन में

    थपकी दे अरमान उनींदे
    अंक सुलाए रजनीगंधा
    भर-भर प्याली स्वपन सुधा की
    चितवन से छलकाए चंपा

    भोर भए पंछी-बिस्मिल्लाह
    शहनाई ले रस बरसाए ।
    छोड़ झरोखे राज महल के
    जो मेरे द्वारे तू आए ।

    अशोक दीप

    प्रेम सबको होता है

    प्रेम सबको होता है,
    प्रेम सबको होता है।


    यह लड़की को होता है,
    यह लड़के को होता है।
    प्रेम सबको होता है,
    प्रेम सबको होता है।


    किसी को कम होता है,
    किसी को ज्यादा होता है।
    प्रेम सबको होता है,
    प्रेम सबको होता है।


    कोई मुझसे कहे न ये,
    प्रेम हमको न होता है।
    प्रेम सबको होता है,
    प्रेम सबको होता है।


    किसी को इंसान से होता है,
    किसी को भगवान से होता है।
    किसी को शिक्षक से होता है,
    किसी को शिक्षा से होता है।
    प्रेम सबको होता है,
    प्रेम सबको होता है।


    प्रेम जिसको न होता है,
    वो सारी उम्र रोता है।
    प्रेम न करने वाला ही,
    अपना सबकुछ खोता है।
    प्रेम सबको होता है,
    प्रेम सबको होता है।

    प्रेम अमर रत्न की

    प्रेम अमर रत्न की ,
    वो एक मुस्कुराहट है ,
    जिस रत्न से हम सराबोर है ,
    नभ की अभिकल्पनाओं में ,
    जीवन तरंगित हुआ ,

    मन पुलकित हुआ ,
    मन द्रुम्लित हुआ ,
    नेह नयनों की आभा ,
    प्यार के फुल मे ,
    दिल विस्मित हुआ !

    निकिता कुमारी

    कुछ तो है तेरे मेरे बीच

    कुछ तो है 
    तेरे मेरे बीच 
    जो मैं कह नहीं सकता .
    और तुम सुन नहीं सकते.
    इस कुछ को खोज रहा हूँ .
    जो मिले तुम्हें बता देना.
    आखिर तुम कह सकते हो.
    और मैं सुन लूँगा.

    मैं पूछता मेरे ख्यालों से दिन रात
    क्यूँ सिर उठाते हैं देखकर तुम्हें
    दिल के सारे जज्बात.
    तुम अपने तो नहीं 
    ना कभी होगे.
    पर गैरों सा ये मन 
    तुम्हें अपना लेना चाहता है
    जो भी मिला अब तक ज़िन्दगी में
    वो सब देना चाहता है.

    इसलिए नहीं कि
    हासिल करना हैं तुम्हें.
    इसीलिए भी नहीं कि,
    काबिल हूँ मैं तेरे लिए.
    पर फिर भी….

    कुछ और सोचूं इस खातिर
    बोल उठती है मेरी चेतना.
    ठहर जाओ!
    इसे रहने दो अनाम .
    जो तेरा हो नहीं सकता,
    उसे मत करो बदनाम.

    पर
    कुछ तो है 
    तेरे मेरे बीच 
    जो मैं कह नहीं सकता .
    और तुम सुन नहीं सकते.
    लेकिन हाँ ! जी जरुर सकते हैं .

    -मनीभाई नवरत्न

    सबको चांद का दीदार चाहिए…

    मुझे तो मेरा चांद पास मिला है।
    ये वो  नहीं जो आसमान का है…
    ये नक्षत्र तो मेरे दिल में खिला है।
    तू चांद देख जानम..और अपना व्रत तोड़ ले।
    मैं ना छोड़ूँ  ये व्रत , चाहे सारा जग छोड़ दे।
    तेरे साथ रहना माहिया
    बस यही कहना माहिया
    तेरे साथ रहना..।
    तेरे संग चलना माहिया
    बस यही कहना माहिया
    तेरे साथ रहना..।
    इस दुपट्टे की लाल में प्यार की गहराई है।
    माथे के सिन्दूरी में  यादों की शहनाई है।
    गले में ये मंगलसूत्र रिश्तों की पूजा है।
    तुमसे बढ़के मेरा यहाँ कोई ना दूजा है ।
    मैं ना बिकूंगा तुझे चोट देने के लिए
    कोई मुझे चाहे लाख करोड़ दें।
    मैं ना छोड़ूँ ये व्रत , चाहे सारा जग छोड़ दे।
    तेरे साथ रहना माहिया
    बस यही कहना माहिया
    तेरे साथ रहना..।
    तेरे संग चलना माहिया
    बस यही कहना माहिया
    तेरे साथ रहना..।
    शाम की इन हवाओं में रंगीनी छाई है।
    जैसे समां ने खुशी से मेंहदी रचाई  है।
    हर पति खुशकिस्मत है चेहरे में साज है।
    आज अपने पत्नी पे उसे गर्व और नाज़ है।
    करवाचौथ का त्यौहार हम सबके लिये
    रिश्तों में खुशहाली मोड़ दें।
    मैं ना छोड़ूँ  ये व्रत , चाहे सारा जग छोड़ दे।
    तेरे साथ रहना माहिया
    बस यही कहना माहिया
    तेरे साथ रहना..।
    तेरे संग चलना माहिया
    बस यही कहना माहिया
    तेरे साथ रहना..।

    प्रेम पत्र पर कविता

    पत्र लिख लिख के फाड़े
    भू को अम्बर भेज न पाए।
    भेद मिला यह मेघ श्याम को
    ओस कणों ने तरु बहकाए।।

    मौन प्रीत मुखरित कब होती
    धरती का मन अम्बर जाने
    पावस की वर्षा में जन मन
    दादुर की भाषा पहचाने

    मोर नाचते संग मोरनी
    पपिहा हर तरुवर पर गाए।
    प्रेम पत्र ……………….।।

    तरुवर ने संदेशे भेजे
    बूढ़े पीले पत्तों संगत
    पुरवाई मधुमास बुलाए
    चाहत फूल कली की पंगत

    ऋतु बसंत ने बीन बजाई
    कोयल प्रेम गीत दुहराये।
    प्रेम पत्र………………..।।

    शशि के पत्र चंद्रिका लाई
    सागर जल मिलने को मचला
    लहर लहर में यौवन छाया
    ज्वार उठा जल मिलने उछला

    अनपाए पत्रों को पढ़ कर
    धरती का कण कण हरषाया।
    प्रेम पत्र…………………….।।

    बाबू लाल शर्मा *विज्ञ*

    वेलेन्टाइन डे की कहानी”

    दिन,महिना,साल भूल के,
    अब मंथ,ईयर व डे हैं कहाये जाते ।
    साल के तीन सौ पैंसठ दिन में,
    कुछ न कुछ डे तो मनाये जाते ॥
    इन्हीं डे में वेलेन्टाइन डे,
    जो प्रेमी जोडे़ हैं मनाया करते ।
    इस दिन सब कुछ भुल-भाल के,
    बस प्यार का पाठ पढ़ाया करते ॥
    जिस किसी को प्यार किसी से,
    वो इजहार प्यार का किया करते ।
    इक-दूजे को भेंट मे कुछ तो,
    प्यार का उपहार दिया करते ॥
    वेलेंटाइन डे की भी कहानी मित्रों,
    अपनी जुबा से सुनाता हूं ।
    सेंट वेलेंटाइन डे का किस्सा,
    जो सुना है मै दुहराता हूं ॥
    रोम देश मे एक इसाई,
    जिसका नाम सेंट वेलेन्टाइन था ।
    वहां की राजा की बेटी से,
    भरपूर प्यार भी उसको था ॥
    बिना शादी के लड़का-लड़की,
    सारे रिश्ते कर सकते हैं ।
    पति-पत्नी नही तो क्या,
    वे प्रेमी जोड़े बन कर रह सकते हैं ॥
    ये बात उसने राजा से,
    बड़ी निडरता से कह डाला ।
    लाल रंग के दिल को उसने,
    राजकुमारी की झोली मे डाला ॥
    उसकी गुस्ताखी देख के राजा,
    उसे फासी की सजा है सुनवाया ।
    चौदह फरवरी के दिन ही उसको,
    सजाए मौत है दिलवाया ॥
    इसी दिन को याद करके प्रेमी,
    अपने प्यार को खुब रिझाते हैं ।
    प्यार-मुहब्बत करके वे,
    वेलेन्टाइन डे को मनाते हैं ॥
    पर पश्चिमी सभ्यता का अंधाधुंध अनुकरण मित्रों,
    वर्तमान मे लग रहा होगा अच्छा ।
    पर इसका दुष्परिणाम भयंकर होगा,
    ये बात भी मित्रों है सच्चा ॥
    पर इसका दुष्परिणाम भयंकर होगा,
    ये बात भी मित्रों है सच्चा ……..

    मोहन श्रीवास्तव

    फरवरी महिना पर कविता

    लोग कहते हैं इश्क़ कमीना है
    हम कहते हुस्न का नगीना है।
    देखो चली है मस्त हवा कैसी
    आ रहा मुहब्बत का महीना है।

    जनवरी संग गुजर गयी सर्दी
    प्यार का ये फरवरी महीना है।
    वेलेंटाइन तो पश्चिमी खिलौना
    यहां तो सदियों से ही मनता
    रहा मदनोत्सव का महीना है।

    सोलहो श्रृंगार कर रही सजनी
    आ रहा उसका जो सजना है।
    यमुनातट आया कृष्ण कन्हैया
    संग राधा नाचती ता-ता थैया है।
    मुरली के धुन पर गोपियां क्या?
    वृंदावन की नाची सारी गैया है।

    फूलों की सुगंध देखो मकरंद
    कैसा उड़ता फिरता बौराया है।
    बागों में लगे है फूलों के झूले
    झूलती सजनी संग सजना है।
    धरा पे पुष्पों सजा ये गहना है
    आया मुहब्बत का ये महीना है।

    वंसतोत्सव में झूमता सदियों से
    आर्यावर्त का नाता ये पुराना है
    प्रेम की हम करते हैं इबादत
    नही वासना का झूठा बहाना है।

    कृष्ण राधा का मीरा का माधव
    रति कामदेव का ही ये महीना है
    आया मुहब्बत का ये महीना है
    इश्क़ वाला ये फरवरी महीना है।   

    पंकज भूषण पाठक “प्रियम”

    वो प्यार जो हकीकत में प्यार होता है – मधुमिता घोष

    वो प्यार जो हकीकत में प्यार होता है,
    उसमें न कोई जीत,न कोई हार होता है,
    न होता है भाव अहम का,
    न होता है शब्द रहम का,
    बस एक -दूजे की खुशी में सारा संसार होता है।
    वो प्यार…………………….

    न बीते दिनों की सच्चाई जुदा करती है,
    न अकेले में तन्हाई जुदा करती है,
    बस आँखों में प्यार का महल होता है,
    दिल में प्यार का सम्बल होता है, अपने प्यार की खुशी में ही संसार होता है।
    वो प्यार…………………………..

    न बारिश में वो भीगता है,
    न पतझड़ में वो सूखता है,
    हर मौसम में जिस पर,
    यौवन का खुमार होता है,
    अपने प्यार की एक मुस्कुराहट के लिए जो न्यौछावर बार-बार होता है।
    वो प्यार………………………..

    आँखों का समंदर जब,
    उसकी यादों में फूटता है,
    दिल न जाने इस दरमियाँ,
    कितनी बार टूटता है,
    फिर भी मन में उम्मीदों का आसार होता है।
    वो प्यार……………….….

    मधुमिता घोष

    तुम्हारी यही बातें मुझे अच्छी लगतीं हैं

    तुम्हारी यही बातें मुझे अच्छी लगतीं हैं
    गुज़रे यादों में जो रातें मुझे अच्छी लगतीं हैं


    तुम्हें न देखूँ तो दिल को न मेरे चैन मिलता है
    छुप छुप के मुलाकातें मुझे अच्छी लगतीं हैं
    दिल में दबा के रखते हो तुम जिन अरमानो को
    वो छुपी छुपी तेरी चाहतें मुझे अच्छी लगतीं हैं


    सुना है प्यार करने वाले हिम्मत वाले होते हैं
    ये रंज और ये आफतें मुझे अच्छी लगतीं हैं
    तुम ये रोज़ लिख लिख कर जो मुझको भेजते हो
    ये ख़त में प्रेम सौगातें मुझे अच्छी लगतीं हैं

    निशां उल्फ़त का दामन से सुनो रह रह के जाता है
    चुनरिया तुम जो रंग जाते मुझे अच्छी लगतीं हैं
    तेरी ‘चाहत’ है वो ख़ुशबू बिखरी मेरे तन मन पे
    निगाहों की करामातें मुझे अच्छी लगतीं हैं


    नेहा चाचरा बहल ‘चाहत’
    झाँसी

  • अंजलि और प्रताप की लव स्टोरी- मनीभाई नवरत्न

    अंजलि और प्रताप की लव स्टोरी- मनीभाई नवरत्न

    हर रोज की तरह लाइब्रेरी में प्रताप पढ़ने के लिए बैठता था । उसी लाइब्रेरी में उसी के सामने बेंच पर अंजली नाम की लड़की भी पढ़ने के लिए बैठ जाया करती थी। प्रताप को लगने लगा कि ये कोई संयोग मात्र नहीं है। वह सोचता है कि कहीं अंजलि उसे चाहती तो नहीं। और इस तरह प्रताप उसे मन ही मन में चाहने लगा था । लेकिन वह उससे बात करने की हिम्मत जुटा नहीं पा रहा था । इसी बीच अंजली भी प्रताप को चाहने लगी ।

    एक दिन अंजली का एक दोस्त उसे लायब्रेरी में मिलने के लिए आ गया। दोनों के बीच पढ़ाई के साथ-साथ अब हंसी मजाक भी होने लगी ।

    इस बात से प्रताप को लगा कि वो लड़का कहीं अंजली का बॉयफ्रेंड तो नहीं । और ऐसा मान लेने से वह अंदर ही अंदर बेचैन होने लगा । अंजली प्रताप की बैचेनी देखती रही। उसने प्रताप की बैचेनी से मजा लेना शुरू कर दिया।

    वह महसूस कर रही थी कि प्रताप उसे प्यार करता तो है लेकिन उसे इजहार नहीं कर पा रहा है । लेकिन जो भी हो, अभी वह रोमांचित पल का आनंद ले रही थी।

    दूसरे दिन प्रताप भी अंजली को यह बताने के लिए कि वह भी किसी से कम नहीं । या यों कहे कि वह अंजली जलाना चाहता हों । इसके लिए अपने एक दोस्त रोहिणी को बुला लाया और उसे अंजली के सामने ही जानबूझकर अंतरंग बात करने लगा । इस बात को रोहिणी समझ रही थी कि प्रताप यह सब अंजली को जलाने के लिए कर रहा है ।

    अंजली को यह सब सहन नहीं हो पाया कि प्रताप किसी दुसरे की हो जाय । वह लाइब्रेरी से उठती है और दौड़कर आंसू पोछते हुए गार्डन आ जाती है । अब प्रताप को अपनी भूल महसूस होने लगता है कि कहीं ना कहीं उसने अंजली के दिल को चोट पहुंचा कर अच्छा नहीं किया है ।

    उसे यह यकीन हो जाता है कि असलियत में दोनों ही एक दूसरे को प्यार करते है । प्रताप वहां बगीचे में पहुंचता है जहाँ अंजली सिसकियां ले रही थी. प्रताप और अंजली के नजर मिलते हैं । अंजली क्षोभ भरी नजरों से प्रताप को देखती है। और प्रताप भी माफी मांगते हुए कान पकड़ लेता है। अब वह ये सब जानबुझकर नहीं करेगा। रोहिणी प्रताप की अंजली से प्यार वाली बात बताती है कि दोनों के बीच ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे सोचकर अंजली दुखी हो रही है।

    प्रताप और अंजली के बीच प्यार का इज़हार बिना बोले ही हो जाता है । अंजली दौड़कर प्रताप को अपने बाहों में भर लेती है।

    (2005 में सोची हुई लव स्टोरी का लेखांकन किया गया है)

    आपको कैसा लगा? कमेंट में जरूर लिखें🙏

    🖋मनीभाई नवरत्न(As a script writer)

  • मनीभाई नवरत्न की गीत

    मनीभाई नवरत्न की गीत

    मनीभाई नवरत्न की गीत

    manibhai Navratna
    मनीभाई पटेल नवरत्न

    आंखों से दूर हो दिल से दूर नहीं

    आंखों से दूर हो, दिल से दूर नहीं ।।
    तुम बुला लो फिर ,हम हो जाएंगे हाजिर।।

    मन तड़पता है तेरी यादों में,
    होश मेरा जब खोता है।
    चैन ढूंढता है यह किताबों में ,
    सारा जग जब सोता है।
    इसी आस पर बेचैनी मिटे,
    तुम मशहूर हो मजबूर नहीं।

    हमारा क्या है सनम?
    हम हैं रमते राम ।
    कट जाएंगे ऐसे ही
    सब रंगीली शाम।।
    पल पल हम मरते रहे  हैं,
    दर्द जुदा  सहते रहे हैं।
    और कहते रहे हैं तेरा होगा कसूर
    पर जरूर नहीं।।

    महबूबा

    महबूबा महबूबा मेरा दिल ले डूबा,
    वश में नहीं दिल अपना लेना है तो ले जा।
    महबूबा महबूबा मेरा दिल तूने  लुभा,
    देखा करता है तेरा सपना लेना है तो ले जा।

    दिल का धड़कना, सांसो का बढ़ना ।
    यह सब इशारे हैं प्यार होने के ।
    मन का तड़पना, आंखों का लड़ना ।
    यह सब इशारे है प्यार होने के ।
    प्यार होने से जीवन लगता अजूबा ।।


    वश में नहीं मेरा दिल…
    चलते चलते रुकना, रूक कर खो जाना।
    यह सब इशारे हैं प्यार होने के ।
    आंखों का झुकना झुककर शर्माना ।
    यह सब इशारे हैं प्यार होने के ।
    प्यार ना होने से जीवन लगता है अधूरा।।
    वश में नही मेरा दिल …

    आपका चेहरा रंगीला

    आपका चेहरा रंगीला दिल में छुरी चलाती है ।
    आपकी अंगड़ाइयां हमारी होश उड़ाती है ।


    आप तो आप ही हैं
    आप की क्या बात है ?
    आप है तो मैं भी हूं
    और यह हसीन रात है ।
    आपकी हर अदाएं मन को लुभाती है।
    आपकी बातें दिल की प्यास बुझाती है।


    सुहाना मौसम है आज ,
    तू भी है अपने पास ।
    जी भरके तंग करेंगे तुझे ।
    हो चाहे आप उदास ।
    आपको छेड़ना शर्म से हमको झुकाती है ।
    आपका दीवानापन हमको पास बुलाती है ।।

    रिश्ता है हमारा आपसे दिल का
    चमकता तारा हो आकाश नील का ।
    तेरी खुशबू हो इन साँसों में ।
    उलझा रहे फूल जैसी बालों में ।
    आपकी हंसी अनजाने में आग लगाती है ।
    आपकी तजुर्बा बिगड़ी बात बनाती है ।
    आपका चेहरा रंगीला…..

    आज आसमां में दामिनी चमक रही

    आज आसमां में दामिनी चमक रही ।
    तू मेरे दिल की रानी बन रही।
    आज मुझे तो प्रेम दीवानी दिख रही ।
    तू मेरे लिए दिल की रानी बन रही ।


    उसकी चमक झपका देती है नैनों को ।
    उसकी खुशबू बढ़ा देती है धड़कनों को ।
    आज मेरी कहानी पूरी हो रही ।
    तू मेरे दिल की रानी बन रही ।
    आज आसमां में ….


    वह मुझे सारी दुनिया दिखाए ।
    उसकी आंखों में मुझे अपना दुनिया दिखा ।
    अब रब क्या करें हमारे लिए
    क्या हमारे भाग्य में लिखा ।
    आज की रात सुहानी हो रही ।
    तू मेरे दिल की रानी बन रही….

    अपना दिल तुम किसी से ना देना

    अपना दिल तुम किसी से ना देना
    मेरा दिल टूट जाएगा ।
    थोड़ा सा मेरा इंतजार करना
    तुझ पर जान लूट जाएगा ।
    यह मत सोचना दिल बर
    कि मैं तुमको भूल जाऊंगा ।


    जुदा रहना दो घड़ी
    फिर मैं तुम से जुड़ जाऊंगा ।
    आएगी एक दिन नई रोशनी
    तब बंधन टूट जाएगा ।
    जानता हूं यह सब होगी कठिन।
    पर आएंगे खुशियों के दिन।


    जाने जाना तू ना माना
    तो मन मेरा टूट जाएगा ।
    तकलीफ तुझे हो अगर ।
    थोड़ा सा इशारा कर देना ।
    खुशियां मेरा लेकर गम हमारा कर देना ।
    मुस्कुरा दे तुम ना तू दिल टूट जाएगा ।
    अपना दिल तुम…..

    अच्छा हुआ जो ठुकरा दिया

    अच्छा हुआ जो ठुकरा दिया तो
    नींदें ना मेरी खराब होगी ।।
    अच्छा हुआ जो बतला दिया तो ,
    हाथों में अब किताब होगी ।।


    पहले होता तेरे लिए बेचैन
    तकती रहती दरस को नैन ।
    बन गया था पागल दीवाना
    एक पल ना आता था रैन।
    अब तेरे लिए लबों में  ना जवाब होगी।


    माना कि तुम खूबसूरत बेमिसाल है ।
    पर दिल के मामले में बुरा हाल है।
    मेरा तुमसे यह आज सवाल है ।
    खुद के बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है ।
    बड़े मदमस्त हो गए तुमने पी शराब होगी ।


    हम ना चाहे थे तुम से बैर
    पर जी लेंगे अब तेरे बगैर
    कभी तो जीवन में हरियाली आएगी
    लंबी रातों की अंधियारी जाएगी ।
    अब हाथों में मेरे किसी और के लिए गुलाब होगी ।

    मोहब्बत की क्या होती जादु

    मोहब्बत की क्या होती जादु,
    समझ ना पाया कोई इसे ।
    सबको कर जाती बेकाबू ,
    पुकार आया ये दिल से ।

    प्यार कैसी है बादल ?
    उड़ती रहती है आसमां में ।
    सब के दिलों में छाया रहता
    बरसे इस जहां में ।
    जब वह दिखे पल रुके
    हर लम्हा बीते मुश्किल से ।
    मोहब्बत की ….


    प्यार कैसी है आज?
    यह तो दिल जलाए ।
    धुआं निकले हैं सीने में
    जब वह दूरियां बढ़ाएं ।
    यह ना बुझे कुछ ना सुझे
    लगे कभी कातिल से ।
    मोहब्बत की ….


    प्यार कैसी है पानी ?
    होती इसमें जिंदगानी .
    हो जाए समां सुहानी
    छुपी है सबकी कहानी ।
    बढ़ जाये बाढ़ आए
    डुब जाये सलिल  से ।
    मोहब्बत की ……

    भीगे भीगे राहों में भीगे भीगे हम

    भीगे भीगे राहों में भीगे भीगे हम।
    हाथों में हाथ लेकर चले संग संग।
    ओ मेरे सनम …ओ मेरे सनम …
    भर रही रगों में मोहब्बत की रंग ।
    संभल कैसे पाऊं करें मुझको तंग
    ओ मेरे सनम …ओ मेरे सनम …


    आज बातें बन जायेगी वो अपनी हो जायेगी ।
    लगता है ऐसे वो बाहों में आ जायेगी ।
    देर ना कर हम पे मर निकला जाए दम।
    ओ मेरे सनम …ओ मेरे सनम ….


    कह तो रही है गिरती पानी ।
    तू मेरा राजा मैं तेरी रानी ।
    कैसे बताऊं हाल ए दिल
    ना कह सकूं मैं इसकी कहानी ।
    मैं डर जाऊं हां मर जाऊं क्या असर है कम ।
    ओ मेरे सनम… ओ मेरे सनम ….


    प्यार जो किया है तो इजहार करूंगा ।
    यह राज बताने में ना देर करूंगा ।
    साथ दे जो अगर तो आगे बढूंगा ।
    हां पहचान मिल गई वह मान गई , मिट गए हैं गम ।
    ओ मेरे सनम ….ओ मेरे सनम ….

    लबों से कह दे आज तू

    लबों से कह दे आज तू।
    दिल से कर दे प्यार तू।
    आंखों से कर दे इशारा तू
    कुछ भी कर ले हमारा तू।
    कब से कहा आज फिर कहता हूं ।
    मैं तो तेरे दिल में रहता हूं ।।

    मुझसे इस तरह बेरुखी हो जाएंगे ।
    कसम तुम्हारी हम तो चले जाएंगे ।
    आप जो दिल हमारे कर जाएंगे ।
    हम तेरे लिए कुछ भी कर जाएंगे ।
    जानेमन मैं तेरे हर अदा पर मरता हूं ।।

    तेरी हर जादू मुझ पर छाने लगा है ।
    तेरी हर बात में मुझे को भाने लगा है ।
    तेरी रंगरूप ख्वाब  दिखाने लगा है।
    अब हम दम मेरा मन गाने लगा है।
    मैं तुमसे ही मोहब्बत करता हूं ।।
    मैं तो तेरे दिल में रहता हूं ।।।

    लबों से कह दे आज तू

    तुम फिर मिले ऐसे

    तुम फिर मिले ऐसे ,
    जैसे नदियां समंदर
    धरती अंबर जैसे ।
    तुम फिर खिले ऐसे
    जैसे दिन से शाम रात
    इंद्रधनुषी रंग सात जैसे ।


    उजली सुबह की रोशनी तुमसे ।
    पगली पवन की खुशबू तुमसे ।
    तुम से ही यह बनी हो जैसे ।
    तुम फिर मिले ऐसे ।
    तुम फिर मिले ऐसे
    जैसे सुर से ताल
    फूल और बाल जैसे ।


    तुम फिर खिले हैं ऐसे
    जैसे भंवरे से कलियां
    धूप से छैइयां  जैसे।
    आसमा की आसमानी तुमसे ।
    मौसम की रवानी तुमसे।
    तुम से ही यह बनी हो जैसे ।

    तुम फिर मिले ऐसे ।
    तुम फिर मिले ऐसे
    जैसे प्यासे को पानी
    राजा को रानी जैसे ।
    तुम फिर खिले ऐसे ।
    जैसे होठों में मुस्कान ।
    मंदिर में भगवान हे जैसे ।
    अरमानों की बरसात तुमसे ।
    ख्वाबों की बारात तुमसे ।
    तुम से ही यह बनी हो जैसे
    तुम फिर मिले ऐसे

    धरती  से धुआं उड़े

    धरती  से धुआं उड़े ,छुले वो आसमां को ।
    मैं भी उड़ जाऊं छू लूं इस जहां को ।

    आज जागे हैं ऐसी तमन्ना ऐसी आशा ।
    आज भागे हैं मन से बहाना ,  निराशा ।
    अब  मैं ना ठहर पाऊं, फैलाके रख दूं अपनी बाहों को ।
    मैं भी उड़ जाऊं छू लूं इस जहां को ।

    सबसे आगे होकर सबको राहे बताऊं ।
    सबको संग  लेकर मंजिल तक जाऊं।
    अब ये कोशिश इरादा ।
    अब  ये ख्वाहिश वादा।
    कि मैं ना अब  बैठूं  रोककर अपनी आंहो को ।
    मैं भी उड़ जाऊं छू लूं इस जहां को ।

    धरती से धुआं उड़े ……

    मन ना लागे रे

    मन ना लागे रे ,लागे ना मन तुम बिन।
    खुदा ही जाने रे , जाने कैसे हुआ यह मुमकिन।
    कल तक जो मेरे,दिल को खटके।
    आज उसी के लिए मन मेरा भटके ।
    खो गया हूं मैं ,उसकी यादों में ,रहने लगा हूं लीन।
    होते रहते थे , हम दोनों में झगड़े।
    तू तू मैं मैं के ही,सारे होते लफड़े ।
    कहां गए वो सारे खींचातानी , दिखे ना कोई चिन्ह ।
    ऐसे ना  कभी वो दिखती थी।
    तड़पाकर दिल को ,ना चलती थी ।
    कहां सीख लिये ऐसी अदाएं, लगती है क्वीन ।
    मन ना लगे….

    मनीभाई नवरत्न

    चाहत में बड़ी ताकत है

    चाहत में बड़ी ताकत है।
    तुझे चाहना ही चाहत है ।
    तू ही है जरूरत मेरी
    तू ही मन की राहत है ।
    चाहत की दुनिया में आके
    दुनिया से अब क्या छुपाना ।
    यह चाहत छिपती नहीं
    कर लो चाहे जितना बहाना ।
    चाहत में तुझको ना चाहा तो लानत है ।
    चाहत में …


    जिया चलती नहीं चाहत के बिना ।
    जिया ढलती नहीं चाहत के बिना ।
    हर लम्हा अब मुश्किल है बड़ा
    पर चाहत सिखाती है मरना जीना।
    अब हर पल दिल में तेरे लिए दावत है।
    चाहत में बड़ी ताकत है….

    मनीभाई नवरत्न

    खो गई जो दोस्ती

    खो गई जो दोस्ती,खो जाएगी जिंदगी।
    यारा जब तक जियूं , करूं तेरी बंदगी ।
    हर लम्हा जब तन्हा रहूं तू याद आए।
    मेरे कानों में  तेरी ,आहट सुनाएं।
    तेरे विचार, सरहद पार होके भी ,
    देखो मुझे आज सिखाएं।
    फिर तुमसे मिलने की,  अरमां है जगी।
    यारा जब तक जियूं करूं तेरी बंदगी ।।


    तू मिलता , है खिलता ,लब पे मुस्कान।
    खुशी तुमसे हंसी तुमसे, तुमसे ही जान।
    तू दिलदार, ओ मेरे यार साथ यूं ही
    रहना मेरे हाथ को थाम।
    खुद को बदल दिया , देख तेरी सादगी।
    यारा जब तक जियूं करूं तेरी बंदगी ।
    ✍मनीभाई

    मस्ती कर मस्ताने दीवाने परवाने

    मस्ती कर मस्ताने दीवाने परवाने ।

    ये पल कल मिले कौन जाने कब जाने?

    धुनी रमा अपने मन की,
    छुले तारे गगन की ।
    आगे बढ़ सबसे ,बनके सयाने ।।

    समेट ले सारी खुशियां,
    बटोर ले सारी कलियां।
    चूम ले धारा को रिश्ते ये पुराने ।।

    नजरों से खेले मन की लड़ियां ।
    दिल में छाए प्रीत की छड़ियां ।।
    आये इस दुनिया में प्रेम के बहाने।।

    मनीभाई नवरत्न

    जीत होके भी मन निराश है

    निकल पड़े हैं सफर में ,
    मंजिल की ना तलाश है
    जो हमसफ़र हो तुमसा
    तो हर मंजिल पास है।।
    फिर क्यों नाराज है, ….
    क्यों उदास है….
    इस पल में जीत होके भी
    मन निराश है……

    ख्वाहिशों की भूलभुलैया नगरी में
    क्यों भटके हम जेठ दुपहरी में।।
    सांसों का , क्या भरोसा जिन्दगी में?
    ये कभी भी छोड़े दे ,दो घड़ी में।।
    फिर क्यों जाऊँ ? तुम्हें छोड़के
    जो नहीं यहाँ कोई, तुमसा खास है।।1।।
    फिर क्यों नाराज है, ….
    क्यों उदास है….
    इस पल में जीत होके भी
    मन निराश है……

    तू जो कहती है आगे बढ़ मेरे लिये
    नैनों से तुम कभी, गुम होना ना।
    पीछे मुड़कर ,मैं जो कभी तुम्हें देखूँ
    नैनों से नीर बहाते, तुम होना ना।
    मेरी जिन्दगी अब हो चुकी तेरी
    मुझे भी तेरी धड़कन का अहसास है।।2।।
    फिर क्यों नाराज है, ….
    क्यों उदास है….
    इस पल में जीत होके भी
    मन निराश है……

    हम तो लुट गये यारा बेफिक्री से

    ना अजनबी से,
    ना करीबी से,
    हम तो लुट गये,
    यारा, बेफिक्री से। ना अमीरी से,
    ना गरीबी से,
    हम तो लुट गये,
    यारा, बेफिक्री से। आज में जीये, कल को भुलाये।
    हम ना गये, किसी के बुलाये।
    मन ने जो चाहा, वही करते गये।
    जग के उसूल, कभी ना समझ पाये
    ना नसीब से, ना बदनसीबी से।
    हम तो लुट गये,
    यारा, बेफिक्री से।।

    ——–

    ——–(क्रमशः)

    -मनीभाई नवरत्न

    दिल्लगी है नहीं मेरा प्यार है

    हाये तेरी अदायें,कर लिया मुझपर अख्तियार है….
    खातिर जिसके दिल तो, अब तो मरने को तैयार है …
    दिल्लगी है नहीं ,मेरा प्यार है …..
    आज इस पल मेरा इकरार है….
    इकरार है….
    Oh…Love is life….Love is great…
    For love’s sake, I won’t wait…..

    ख्वाहिश है मुझे , किसी सांझ सकारे
    मिलने को जाऊं तुझे ,नदिया किनारे
    रखके सर, तेरी जुल्फों के तले
    नैनों से अपने, तेरी रूप निहारे
    गर ऐसा हो कभी …..तो चमत्कार है.

    दिल्लगी है नहीं ,मेरा प्यार है …..
    आज इस पल मेरा इकरार है….
    इकरार है….

    तू ही मेरा मस्जिद

    तू ही मेरा मस्जिद
    तू ही मेरा मंदिर
    तू ही दरगाह
    तू ही मेरा रब्बा
    तू ही मेरी दुआ
    तू ही चाह
    अजकार मेरे लिए तेरा प्यार
    कदमों में तेरे जानिसार

    तुझे कैसे बताऊं तुम मेरे लिए क्या है
    रब की रहमत मिले तुझे मेरी यही रजा है
    सरकार मेरे लिए तेरा प्यार
    कदमों में तेरे जानिसार.

    जो हुकुम दे दे तू मर जाए उस पर
    तसल्ली होगी खुद को कुछ किया तुझ पर
    संसार मेरे लिए तेरा प्यार
    कदमों में तेरे जानिसार.

    हुजूर तुम हो

    हुजूर तुम….
    हुजूर तुम हो….
    हुजूर तुम हो मेरे रहबर । पास आए ….
    पास आए तुम….
    पास आए तुम मेरे इस कदर।
    कि जीने की ख्वाहिश मुझे हो चली।
    कि ढूंढूं तुझे मैं गली गली । तुमसे हूं …
    तुमसे हूं जिंदा ….
    तुमसे हूं जिंदा मेरे परवर
    पाके तुझे …
    पाके तुझे मैं …..
    पाके तुझे मैं गई नहीं निखर। आजकल खुद से ज्यादा ,
    तेरी फिक्र होने लगी है ।
    सपनों में भी ,अपनों में भी
    तेरी जिक्र होने लगी है । मेरी आरजू तू …मेरी चारसू तू …
    तू ही जुस्तजू मेरी…  गुप्तगूं तू अब तो….
    अब तो तुम…..
    अब तो तुम मेरे हमसफर ।
    पास आए……
    पास आए तुम ….
    पास आए तुम मेरे इस कदर। कर लिया , खुद से वादा
    चाहूंगा तुझे मरते दम तक ।
    आफतो में भी, राहतों में भी
    रहूंगा संग मरते दम तक । मेरी आशिकी तू , मेरी ऐयारी तू।
    तू ही बेखुदी ..मेरी , बेदारी तू । जान लो …
    जान लो तुम …
    जान लो तुम मेरी खबर ।
    पास आए ..
    पास आए तुम …
    पास आए तुम मेरे इस कदर।

    बैठे हैं आकाशतल में- मनीभाई नवरत्न

    बैठे हैं आकाशतल में, टूटे ना कोई सितारा ।

    जो कभी टूटेंगे तारे, हाथ मांग लेंगे तुम्हारा।।

    कोई तो मुलाकात होगी, जो पिया साथ होगी ।
    कोई तो रात होगी ,जिसमें तुझसे बात होगी ।।
    कोई तो बरसात होगी जिसमें मन भीग जाएंगे ।
    कोई तो हालात होगी जिसमें वो दिख जाएंगे।।
    यह लमहे ना गुजरे तो फलक मेरा अंधियारा ।।


    जीवन मेरा राग है, जिसे तुम सुन लेना ।
    जीवन में सुराग है ,जिसे तुम बून लेना ।
    जीवन मेरा दाग है, जिसे तुम धो लेना ।
    जीवन में आग है, जिसे तुम बुझा देना ।
    जीवन बाग बाग हो जाएंगे जो मिले तेरा सहारा।।

    मनीभाई नवरत्न

    माना हम तेरे लायक नहीं

    माना हम तेरे लायक नहीं
    मनचाहा फल दायक नहीं ।
    तो भी हमसे मुख मोड़ो ना
    तन्हा छोड़ो ना ।।
    यूं तो रिश्ता अपना हर रिश्तों से बढ़कर है ।
    फिर क्यों ये फासला हर फासलों से बढ़कर है।
    तू रह कर भी रहता नहीं
    और ना रह कर भी रहता है ।
    मेरा दिल नाजुक शीशे का
    गिरा के तोड़ो ना
    तन्हा छोड़ो ना ।।
    तुमको पाकर पा लिया
    मैंने अपना हमसफ़र ।
    कतरे कतरे को है पता
    बस तुझे ही ना खबर ।
    तू कह कर भी कहता नहीं ।
    और ना कहकर भी कहता है।
    यह जहां है खुदगर्जो का
    जिनके पीछे दौड़ो ना
    तन्हा छोड़ो ना।।