प्रकृति का इंसाफ पर कविता
प्रकृति का इंसाफ पर कविता कायनात में शक्ति परीक्षा,दिव्य अस्त्र-शस्त्र परमाणु बम से |सारी शक्तियां संज्ञा-शून्य हुई ,प्रकृति प्रदत विषाणु के भ्रम से |अटल, अविचल, जीवनदायिनी ,वसुधा का सीना चीर दिया |!दोहन किया युगो- युगो तक,प्रकृति को अक्षम्य पीर दिया ||सभ्य,सुसंस्कृत बन विश्व पटल पर,कर रहे नित हास-परिहास | त्राहिनाद गूंज रहा चहुं ओर ,अब … Read more