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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०अशोक शर्माके हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • गाँव की महिमा पर अशोक शर्मा जी की कविता

    गाँव की महिमा पर अशोक शर्मा जी की कविता

    गाँव की महिमा पर अशोक शर्मा जी की कविता

    गाँव की महिमा पर अशोक शर्मा जी की कविता

    गांव और शहर


    लोग भागे शहर-शहर , हम भागे देहात,
    हमको लागत है गाँवों में, खुशियों की सौगात।

    उहाँ अट्टालिकाएं आकाश छूती, यहाँ झोपड़ी की ठंडी छाँव।
    रात रात भर चलता शहर जब,चैन शकून से सोता गाँव।

    जगमग जगमग करे शहर, ग्राम जुगनू से उजियारा है।
    चकाचैंध में हम खो जाते,टिमटिमाता गाँव ही न्यारा है।

    फाइव स्टार रेस्त्रां में, पकवान मिलते एक से एक।
    पर गाँवों का लिट्टी चोखा,हमको लगता सबसे नेक।

    बबुआ के जब तबियत बिगड़े, गाँव इकट्ठा होता है,
    पर शहरों का मरीज तो, अक्सर तन्हाई में रोता है।

    पैसा से सब काम होत है, शहर विकसे बस पैसा से,
    खेती गाँव में भी हो जाती, बिन पैसा कभी पईंचा से।

    खरीद खरीदकर सांस लेते, महँगी प्राणवायु शहरों में,
    गाँवों में स्वच्छ वायु मिल जाती, मुफ्त में हर पहरों में।

    जंक फूड जब शहर का खाये, मन न भरे अब बथुआ से,
    गमछा बिछा मलकर खाये, तब जिया जुड़ाला सतुआ से।

    शहर के व्यंजन महंगे होते, कम पैसे में जैसे भीख,
    बिन पैसे मिलती गांवों में, भर पेट खाने को ईख।

    दूध मलाई शहर के खाईं, महँगी पड़ी दवाई,
    गऊँवा के सरसो के भाजी, रोग न कवनो लाई।

    शहर गाँव से आगे बाटे, सब लोग कहते रहते,
    हमको तो गाँव ही भाये, जनाब आप क्या कहते?


    ★★अशोक शर्मा,लक्ष्मीगंज,कुशीनगर, उत्तर प्रदेश★★