शरद पूर्णिमा पर कुंडलिया छंद

शरद पूर्णिमा पर कुंडलिया छंद 1—- उज्ज्वल- उज्ज्वल है धरा,चंद्र -किरण बरसात । चाँद गगन से झाँकता ,रूप मनोहर गात।। रूप मनोहर गात ,रजत सम बहती धारा। लिए शरद सौगात ,चंद्र का रूप निखारा।। कहे सुधा सुन मीत , प्रीत है मन का प्राँजल।  सजे पुनों की रात ,धरा है उज्ज्वल उज्ज्वल।। 2— छम-छम बजती … Read more

शुभ्र शरद पूर्णिमा – बाबूलाल शर्मा

doha sangrah

शुभ्र शरद पूर्णिमा – बाबूलाल शर्मा शुभ्र शरद शुभ पूर्णिमा, लिए शीत संकेत।कर सोलह शृंगार दे, चंद्र प्रभा घर खेत।। दक्षिण पथ रवि रथ चले, शरद पूर्णिमा देख।कृषक फसल के बीज ले, हल से लिखे सुलेख। श्वाँस कास उपचार हित, खीर चाँदनी युक्त।उत्तम औषधि वैद्य दे, करे रोग से मुक्त।। सुधा बरसता चन्द्र से, कहते … Read more

शरदपूर्णिमा पर कविता-  डा. नीलम

शरदपूर्णिमा पर कविता ओढ़ के चादर कोहरे कीसूरज घर से निकला थाकर फैला कर थोड़ी धूपदेने की, दिन भर कोशिश करता रहा सांझ ने जब दामन फैलायानिराश होकर सूरज फिर लौट गयाकोशिश फिर चाँद-सितारों ने भी की थीपर कोहरे की चादर वैसी ही बिछी रही कोहरे की चादर ,पर ..बहुत गाड़ी थीहवाओं ने भी तीखी … Read more