मुझको गीत सिखा देना

मुझको गीत सिखा देना कोयल जैसी बोली वाले,मुझको गीत सिखा देना। शब्द शब्द को कैसे ढूँढू,कैसे भाव सँजोने हैं।कैसे बोल अंतरा रखना,मुखड़े सभी सलोने हैं।शब्द मात्रिका भाव तान लय,आशय मीत सिखा देना।कोयल जैसी बोली वाले,मुझको गीत सिखा देना। मन के भाव मलीन रहे तब,किसे छंद में रस आए।राग बिगड़ते देश धर्म पथ,कहाँ गीत में लय … Read more

तब मैं भी चाहूँ प्यार करूँ

तब मैं भी चाहूँ प्यार करूँ मन में शुभ भाव उमड़ते हों,तब मैं भी चाहूँ,प्यार करूँ। जब रिमझिम वर्षा आती हों,ज्यों गीता ज्ञान सुनाती हो।खिड़की से तान मिलाती हो,मुझको मानो उकसाती हो।श्वेद संग वर्षा में गाऊं,मै,भी जब कुछ श्रम साध्य करूं।मात का उज्जवल भाल सजे,तब मैं भी चाहूँ प्यार करूँ।। भाती है दिल आलिंगन सी,स्वर … Read more

क्यों जाति की बात करें

क्यों जाति की बात करें(१६,१६) जब जगत तरक्की करता हो,देश तभी उन्नति करता है।जब मानव सहज विकास करे,क्यों जाति द्वेष की बात करें। जाति धर्म मे पैदा होना,मनुजों की वश की बात नहीं,फिर जाति वर्ग की बात करेंयह सच्ची अच्छी बात नहीं। माना जो पहले बीत गया,कुछ कर्मी वर्ग अवस्था थी,नवयुग मे नया प्रभात करें,क्यों … Read more

बेटी पर दोहा छंद

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बेटी पर दोहा छंद बेटी सृष्टि प्रसारणी , जग माया विस्वास।धरती पर अमरित रची, काया श्वाँसो श्वाँस।।.बेटी जग दातार भी ,यही जगत आधार।जग की सेतु समुद्र ये, जन मन देवा धार।।.बेटी गुण की खान है, त्याग मान बलिदान।राज धर्म तन तीन का,सत्य शुभ्र अभिमान।।.बेटी व्रत त्यौहार की, सामाजिक सद्भाव।कुटुम पड़ोसी जोड़ती,श्रद्धा भक्ति सुभाव।।.बेटी यसुदा मात … Read more