दम्भ पर कविता – बाबूलालशर्मा *विज्ञ*

दम्भ पर कविता घाव ढाल बन रहे. स्वप्न साज बह गये।. पीत वर्ण पात हो. चूमते विरह गये।। काल के कपाल पर. बैठ गीत रच रहा. प्राण के अकाल कवि. सुकाल को पच रहा. सुन विनाश गान खगरोम की तरह गये।पीत वर्ण……….।। फूल शूल से लगेमीत भयभीत छंदरुक गये विकास नव. छा रहा प्राण द्वंद. … Read more

पृथ्वीराज पर कविता-बाबूलालशर्मा *विज्ञ*

पृथ्वीराज पर कविता अजयमेरु गढ़ बींठली, साँभर पति चौहान।सोमेश्वर के अंश से, जन्मा पूत महान।। ग्यारह सौ उनचास मे, जन्मा शिशु शुभकाम।कर्पूरी के गर्भ से, राय पिथौरा नाम।। अल्प आयु में बन गए, अजयमेरु महाराज।माँ के संगत कर रहे, सभी राज के काज।। तब दिल्ली सम्राट थे, नाना पाल अनंग।राज पाट सब कर दिया, राय … Read more

नौका पर कविता

नौका पर कविता मँझधारों में माँझी अटका,क्या तुम पार लगाओगी।जर्जर नौका गहन समंदर,सच बोलो कब आओगी। भावि समय संजोता माँझीवर्तमान की तज छाँयाअपनों की उन्नति हित भूलाजो अपनी जर्जर कायाक्या खोया, क्या पाया उसनेतुम ही तो बतलाओगी।जर्जर ………………. ।। भूल धरातल भौतिक सुविधाभूख प्यास निद्रा भूलारही होड़ बस पार उतरनाकल्पित फिर सुख का झूलाआशा रही … Read more

पंछी पर कविता

पंछी पर कविता यह,मन प्यासा,पंछी मेरानील गगन उड़ करे बसेरा ।पल मे देश विदेशों विचरण,कभी रुष्ट,पल मे अभिनंदन,*प्यासा पंछी, उड़ता मन।।* पल में अवध,परिक्रम करता,सरयू जल अंजुलि में भरता।पल में चित्र कूट जा पहुँचे,अनुसुइया के आश्रम पावन,*प्यासा पंछी, उड़ता मन।।* पल में शबरी आश्रम जाए,बेर,गुठलियाँ ढूँ ढे खाए।किष्किन्धा हनुमत से मिलकर,कपि संगत वह करे जतन,*प्यासा … Read more

पानी पर कविता

पानी पर कविता क्षिति जल पावक नभ पवन,जीवन ‘विज्ञ’ सतोल।जीवन का आधार वर,पानी है अनमोल।। मेघपुष्प ,पानी सलिल, आप: पाथ: तोय।*विज्ञ* वन्दना वरुण की, निर्मल मति दे मोय।। जनहित जलहित देशहित, जागरूक हो *विज्ञ*।जीवन के आसार तब, जल रक्षार्थ प्रतिज्ञ।। वारि अम्बु जल पुष्करं, अम्म: अर्ण: नीर।उदकं, घनरस शम्बरं, *विज्ञ* रक्ष मतिधीर।। सरिता तटिनी तरंगिणी, … Read more