सार छंद विधान – बाबूलालशर्मा

सार छंद विधान ऋतु बसंत लाई पछुआई, बीत रही शीतलता।पतझड़ आए कुहुके,कोयल,विरहा मानस जलता। नव कोंपल नवकली खिली है,भृंगों का आकर्षण।तितली मधु मक्खी रस चूषक,करते पुष्प समर्पण। बिना देह के कामदेव जग, रति को ढूँढ रहा है।रति खोजे निर्मलमनपति को,मन व्यापार बहा है। वृक्ष बौर से लदे चाहते, लिपट लता तरुणाई।चाह लता की लिपटे तरु … Read more

संस्कारों पर कविता

संस्कारों पर कविता बीज रोप दे बंजर में कुछ,यूँ कोई होंश नहीं खोता।जन्म जात बातें जन सीखे,वस्त्र कुल्हाड़ी से कब धोता। संस्कृति अपनी गौरवशाली,संस्कारों की करते खेती।क्यों हम उनकी नकल उतारें,जिनकी संस्कृति अभी पिछेती।जब जब अपने फसल पकी थी,पश्चिम रहा खेत ही बोता।बीज रोप दे बंजर में कुछ,यूँ कोई होंश नही खोता। देश हमारा जग … Read more

अप्सरा पर कविता

अप्सरा पर कविता बादलो ने ली अंगड़ाई,खिलखलाई यह धरा भी!हर्षित हुए भू देव सारे,कसमसाई अप्सरा भी! कृषक खेत हल जोत सुधारे,बैल संग हल से यारी !गर्म जेठ का महिना तपता,विकल जीव जीवन भारी!सरवर नदियाँ बाँध रिक्त जल,बचा न अब नीर जरा भी!बादलों ने ली अंगड़ाई,खिलखिलाई यह धरा भी! घन श्याम वर्णी हो रहा नभ,चहकने खग … Read more

शिव भक्ति गीत -बाबूलाल शर्मा

शिव भक्ति गीत -बाबूलाल शर्मा प्रस्तुत कविता शिव भक्ति गीत आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

पत्थर दिल पर कविता

पत्थर दिल पर कविता लता लता को खाना चाहे,कली कली को निँगले!शिक्षा के उत्तम स्वर फूटे,जो रागों को निँगले! सत्य बिके नित चौराहे पर,गिरवी आस रखी हैदूध दही घी डिब्बा बंदी,मदिरा खुली रखी है!विश्वासों की हत्या होती,पत्थर दिल कब पिघले!लता लता को खाना चाहेकली कली को निँगले! गला घुटा है यहाँ न्याय का,ईमानों का सौदा!कर्ज … Read more