हारे जीत पर दोहे
हारे जीत पर दोहे पीर जलाए आज विरह फिर,बनती रीत!लम्बी विकट रात बिन नींदे, पुरवा शीत! लगता जैसे बीत गया युग, प्यार किये!जीर्ण वसन हो बटन टूटते, कौन सिँए!मिलन नहीं भूले से अब तो, बिछुड़े मीत!पीर जलाए आज विरह फिर, बनती रीत! याद रहीं बस याद तुम्हारी, भोली बात!बाकी तो सब जीवन अपने, खाए घात!कविता … Read more