राम को खेलावत कौशिल्या रानी / बाबूराम सिंह
चैत शुक्ल नवमी को पावन अयोध्या में ,
मध्य दिवस प्रगटाये रामचनद्र ज्ञानी।
सुन्दर सुकोमल दशरथ नृपति -सुत ,
भव्यसुख शान्ति सत्य सिन्धुछवि खानी।
जिनके दर्शन हेतु तरसता सर्व देव ,
बाल ब्रह्मचारी संत योगी यती ध्यानी।
शुचि उत्संग बिच ले के “कवि बाबूराम “
श्रीहरि राम को खेलावत कौशिल्या रानी।
ललाटे तिलकभाल ग्रीवा तुलसी कीमाल ,
केश घुंघराले अति प्रिय मधुर बानी।
पांव पैजनी कटी पीत कर पिनाक सोहे ,
अंग – अंग चारू रूप जन -मन लुभानी।
राम बाल रूप पै लज्जित कोटि कामदेव,
मोहे त्रिभुवन निज सुधी सब भुलानी।
राम जन्मभूमि चुमि -चुमि “कवि बाबूराम “
श्रीहरि राम को खेलावत कौशिल्या रानी।
राम सुखधाम भये प्रगट ललाम जहाँ ,
धन्य – धन्य ,धन्य वह अवध राजधानी।
होत ना बखान बलिहारी जाऊँ बार -बार ,
मोक्ष दायिनी है राम जन्म की कहानी।
अतीव बड़भागी सुभागी दशरथ प्रिया ,
राम रुप लखि हिया पल – पल जुडा़नी।
सर्व सुखदाता विधाता को “कवि बाबूराम ,
श्रीहरि राम को खेलावत कौशिल्या रानी।
बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज ( बिहार )
मो0नं0- 9572105032