राम को खेलावत कौशिल्या रानी / बाबूराम सिंह

Jai Sri Ram kavitabahar

राम को खेलावत कौशिल्या रानी / बाबूराम सिंह चैत शुक्ल नवमी को पावन अयोध्या में ,मध्य दिवस प्रगटाये रामचनद्र ज्ञानी।सुन्दर सुकोमल दशरथ नृपति -सुत ,भव्यसुख शान्ति सत्य सिन्धुछवि खानी।जिनके दर्शन हेतु तरसता सर्व देव ,बाल ब्रह्मचारी संत योगी यती ध्यानी।शुचि उत्संग बिच ले के “कवि बाबूराम “श्रीहरि राम को खेलावत कौशिल्या रानी। ललाटे तिलकभाल ग्रीवा … Read more

दहेज प्रथा अभिशाप है – बाबूराम सिंह

दहेज प्रथा अभिशाप है दानव क्रूर दहेज अहा ! महा बुरा है पाप ।जन्म-जीवन नर्क बने,मत लो यह अभिशाप।।पुत्रीयों के जीवन में ,लगा दिया है आग।खाक जगत में कर रहा,आपस का अनुराग।। जलती हैं नित बेटियाँ ,देखो आँखें खोल।तहस-नहस सब कर दिया,जीवन डांवाडोल।।पुत्री बिना सम्भव नहीं ,सृष्टि सरस श्रृंगार ।होकर सब कोइ एकजुट,इसपर करो विचार।। … Read more

श्रीराम पर कविता – बाबूराम सिंह

कविता भक्त वत्सल भगवान श्रीराम —————————————– सूर्यवंशी सूर्यकेअवलोकि सुचरित्र -चित्र,तन – मन रोमांच हो अश्रु बही जात है।सुखद- सलोना शुभ सदगुण दाता प्रभु ,नाम लेत सदा भक्त बस में हो जातहैं। नाम सीताराम सुखधाम पतित -पावन ,पाप-ताप आपो आप पलमें जरि जात है ।पामर ,पतित अरू पातकी अघोर हेतु ,सेतु बनी तार बैकुण्ठ को ले … Read more

सुफल बनालो जन्म कृष्णनाम गायके – बाबूराम सिंह

सुफल बनालो जन्म कृष्णनाम गायके कृष्ण सुखधाम नाम परम पुनीत पावन ,पतित उध्दार में भी प्यार दिखलाय के।कर की मुरलिया से मोहे त्रिलोक जब ,सुफल बना लो जन्म कृष्ण नाम गाय के। चौदह भुवन ब्रह्मांण्ड त्रिलोक सारा ,पालन संहार सृष्टि छन में रचाय के ।कलिमल त्रास से उदास आज जन-जन ,वेंणु स्वर फूंक फिर भारत … Read more

लेखनी तू आबाद रहे – बाबूराम सिंह

कविता लेखनी तू आबाद रह ——————————- जन-मानस ज्योतित कर सर्वदा, हरि भक्ति प्रसाद रह। लेखनी तूआबाद रह। पर पीडा़ को टार सदा, शुभ सदगुण सम्हार सदा। ज्ञानालोक लिए उर अन्दर, कर अन्तः उजियार सदा। बद विकर्म ढो़ग जाल फरेब का, कभी नहीं फरियाद रह। लेखनी तू आबाद रह। शुभ सदगुण सत्कर्म सिखा, सत्य धर्म की … Read more