भ्रमर दोहे – बाबूराम सिंह
भ्रमर दोहे आगे-आगे जा करे,जो सुधैर्य से काम।बाढे़ चारो ओर से , ढे़रों नेकी नाम।। प्यासेको पानी पिला,भूखेको दोभीख।वेदों शास्त्रोंका यहीं,लाखों में है सीख।। जाने माने लोग भी ,हो जाते हैं फेल।पूर्ण यहाँ कोई नहीं,माया का है खेल।। गाये धाये नेक पै ,पाये प्यारा नाम।छाये भोले भाव पै,भाये साँचा काम।। जाना है जागो मना,अंतः आँखे … Read more