बहुत याद आता हैं बचपन का होना

बहुत याद आता हैं बचपन का होना वो बचपन में रोना बीछावन पे सोना,,छान देना उछल कूद कर धर का कोना,,बैठी कोने में माँ जी का आँचल भिगोना,,माँ डाटी व बोली लो खेलो खिलौना,,बहुत याद आता हैं बचपन का होना।। गोदी में सुला माँ का लोरी सुनाना,कटोरी में गुड़ दूध रोटी खिलाना,,नीम तुलसी के पते … Read more

कलम से वार कर

कलम से वार कर परिणाम अच्छे हो या बुरे,,उसे सहर्ष स्वीकार कर,,किसी को दोषी मत ठहरा,,अपने आप का तिरस्कार कर,,समीक्षा कर अंतःकरण का,,और फिर कलम से वार कर ।।        जहाँ तुम्हें लगे मैं गलत हूँ,,       वहाँ बेझिझक अपनी हार कर,,       अपने चिंतन शक्ति को बढ़ाकर,,        तुम ज्ञान का प्रसार कर,,        अपने अन्दर अटूट विश्वास … Read more