आ बैठे उस पगडण्डी पर - बाबू लाल शर्मा HINDI KAVITA || हिंदी कविता आ बैठे उस पगडण्डी पर,जिनसे जीवन शुरू हुआ था।बचपन गुरबत खेलकूद में,उसके बाद पढ़े जमकर थे।रोजगार…
बचपन की यादें -साधना मिश्रा बाल दिवस पर कविता वो वृक्षों के झूले वो अल्हड़ अठखेलियां।वो तालाबों का पानी वो बचपन की नादानियां। वो सखाओं संग मस्ती वो हसीं वादियां।वो…