Tag: #बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर ० बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • ढूँढूँ भला खुदा की मैं रहमत

    ढूँढूँ भला खुदा की मैं रहमत

     
    ढूँढूँ भला खुदा की मैं रहमत कहाँ कहाँ,
    अब क्या बताऊँ उसकी इनायत कहाँ कहाँ।
    सहरा, नदी, पहाड़, समंदर ये दश्त सब,
    दिखलाए सब खुदा की ये वुसअत कहाँ कहाँ।
    हर सिम्त हर तरह के दिखे उसके मोजिज़े,
    जैसे खुदा ने लिख दी इबारत कहाँ कहाँ।
    सावन में सब्जियत से है सैराब ये फ़िज़ा,
    बहलाऊँ मैं इलाही तबीअत कहाँ कहाँ।
    कोई न जान पाया खुदा की खुदाई को,
    (ये गम कहाँ कहाँ ये मसर्रत कहाँ कहाँ।)
    अंदर जरा तो झाँकते अपने को भूल कर,
    बाहर खुदा की ढूँढते सूरत कहाँ कहाँ।
    रुतबा-ओ-जिंदगी-ओ-नियामत खुदा से तय,
    इंसान फिर भी करता मशक्कत कहाँ कहाँ।
    इंसानियत अता तो की इंसान को खुदा,
    फैला रहा वो देख तु दहशत कहाँ कहाँ।
    कहता ‘नमन’ कि एक खुदा है जहान में,
    जैसे भी फिर हो उसकी इबादत कहाँ कहाँ।

    सहरा = रेगिस्तान
    दश्त = जंगल
    वुअसत = फैलाव, विस्तार, सामर्थ्य
    सिम्त = तरफ, ओर
    मोजिज़े = चमत्कार (बहुवचन)
    सब्जियत = हरियाली
    सैराब = भरा हुआ
    मसर्रत = खुशी
     
    बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
    तिनसुकिया

  • गर्दिश में सितारे हों

    गर्दिश में सितारे हों

    गर्दिश में सितारे हों जिसके, दुनिया को भला कब भाता है,
    वो लाख पटक ले सर अपना, लोगों से सज़ा ही पाता है।

    मुफ़लिस का भी जीना क्या जीना, जो घूँट लहू के पी जीए,
    जितना वो झुके जग के आगे, उतनी ही वो ठोकर खाता है।

    ऐ दर्द चला जा और कहीं, इस दिल को भी थोड़ी राहत हो,
    क्यों उठ के गरीबों के दर से, मुझको ही सदा तड़पाता है।

    इतना भी न अच्छा बहशीपन, दौलत के नशे में पागल सुन,
    जो है न कभी टिकनेवाली, उस चीज़ पे क्यों इतराता है।

    भेजा था बना जिसको रहबर, पर पेश वो रहज़न सा आया,
    अब कैसे यकीं उस पर कर लें, जो रंग बदल फिर आता है।

    माना कि जहाँ नायाब खुदा, कारीगरी हर इसमें तेरी,
    पर दिल को मनाएँ कैसे हम, रह कर जो यहाँ घबराता है।

    ये शौक़ ‘नमन’ ने पाला है, दुख दर्द पिरौता ग़ज़लों में,
    बेदर्द जमाने पर हँसता, मज़लूम पे आँसू लाता है।

    बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
    तिनसुकिया

  • आओ सब मिल कर संकल्प करें

    आओ सब मिल कर संकल्प करें

    आओ सब मिल कर संकल्प करें।
    चैत्र शुक्ल नवमी है कुछ तो, नूतन आज करें।
    आओ सब मिल कर संकल्प करें॥
    मर्यादा में रहना सीखें, सागर से बन कर हम सब।
    हम इस में रहना सिखलाएं, तोड़े कोई इसको जब।
    मर्यादा के स्वामी की, धारण यह सीख करें।
    आओ सब मिल कर संकल्प करें॥
    मात पिता गुरु और बड़ों की, सेवा का ही मन हो।
    भाई मित्र और सब के, लिए समर्पित ये तन हो।
    समदर्शी सा बन कर, सबसे व्यवहार करें।
    आओ सब मिल कर संकल्प करें॥
    उत्तम आदर्शों को हम, जीवन में सभी उतारें।
    कर चरित्र निर्माण स्वयं को, जग में आज सुधारें।
    खुद उत्तम बन कर हम, पुरुषोत्तम को ‘नमन’ करें।
    आओ सब मिल कर संकल्प करें॥
    आज रामनवमी के दिन हम, मिल कर व्रत यह लेवें।
    दीन दुखी आरत जन जन को, सकल सहारा देवें।
    राम-राज्य का धरती पर, सपना साकार करें।
    आओ सब मिल कर संकल्प करें॥
    बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
    तिनसुकिया
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  • पिरामिड विधा पर रचना

    हनुमत पिरामिड

    पिरामिड विधा पर रचना

    हे
    वायु
    तनय
    हनुमान
    दे वरदान
    रहें खुस हाल
    प्रभू  हर हाल में ।

    हे
    दुखः
    हर्ता हे
    बजरंगी
    राम दुलारे
    भक्तन पुकारे
    हे कष्ट विनाशक।

    माँ
    सीता
    को प्यारे
    ले-मुदृका
    समुद्र लांधे
    सिया सुधि लाये
    भक्तन हितकारी ।

    श्री
    राम
    छपते
    लंका जला
    दानव   दल
    संहार  करके
    बाग उजारे प्रभू।

    ले
    वैद
    सुखेन
    संजीवनी
    लेकर आये
    प्राण  लक्ष्मण के
    बचाये     बजरंगी ।

    हे
    देव
    मनाये
    तुम्हें रक्षा
    करो जगत
    भव ताप हरो
    हे नाथ  महाबली ।

    केवरा यदु “मीरा “

    तुलसी पिरामिड

    हे
    विष्णु
    प्रिया माँ
    तुलसी तू
    सब जग की
    माता सुख दाता
    तुलसी  महारानी ।

    हे
    श्यामा
    सुर वल्ली
    ग्राम्य माता
    तुमको मना
    दीप जलाकर
    वाँछित फल पाऊँ।

    ले
    जन्म
    विजन
    आई है माँ
    भवन मेरी
    हरि की प्यारी तू
    श्यामवर्णी  हे माते।

    हे
    श्यामे
    तुम हो
    गुणकारी
    रोग ऊपर
    रूज से रक्षा रत
    संजीवनी  हो तुम ।

    हो
    सर्दी
    खाँसी  तो
    या  बुखार
    काली  मिर्च व
    तुलसी के पत्ते
    उबालें  काढ़ा  पी लें।

    हो
    गर
    दस्त तो
    तुलसी  के
    पत्ते को जीरे
    मिला के पीस  लें
    दिन में  तीन बार ।

    केवरा यदु “मीरा “

    हनुमत पिरामिड

    को
    नहीं
    जानत
    जग में तु
    दूत राम को।
    महिमा दी तूने
    सालासर ग्राम को।
    राम लखन को लाए
    पावन किष्किंधा धाम को।
    सागर लांघा  लंकिनी  मारी
    लंका में छेड़ दिया संग्राम को।
    सौंप मुद्रिका  उजाड़ी  वाटिका
    जारे तब लंका ललाम को।
    स्वीकार   करो  बजरंगी
    तुम मेरे प्रणाम को।
    हे बाबा  रक्षा  कर
    आठहुँ याम को।
    ‘नमन’ करूँ
    पूर्ण करो
    सारे ही
    काम
    को।
    बासुदेव अग्रवाल नमन
    तिनसुकिया

  • कौन समय को रख सकता है

    कौन समय को रख सकता है

    कौन समय को रख सकता है, अपनी मुट्ठी में कर बंद।
    समय-धार नित बहती रहती, कभी न ये पड़ती है मंद।।
    साथ समय के चलना सीखें, मिला सभी से अपना हाथ।
    ढल जातें जो समय देख के, देता समय उन्हीं का साथ।।
    काल-चक्र बलवान बड़ा है, उस पर टिकी हुई ये सृष्टि।
    नियत समय पर फसलें उगती, और बादलों से भी वृष्टि।।
    वसुधा घूर्णन, ऋतु परिवर्तन, पतझड़ या मौसम शालीन।
    धूप छाँव अरु रात दिवस भी, सभी समय के हैं आधीन।।
    वापस कभी नहीं आता है, एक बार जो छूटा तीर।
    तल को देख सदा बढ़ता है, उल्टा कभी न बहता नीर।।
    तीर नीर सम चाल समय की, कभी समय की करें न चूक।
    एक बार जो चूक गये तो, रहती जीवन भर फिर हूक।।
    नव आशा, विश्वास हृदय में, सदा रखें जो हो गंभीर।
    निज कामों में मग्न रहें जो, बाधाओं से हो न अधीर।।
    ऐसे नर विचलित नहिं होते, देख समय की टेढ़ी चाल।
    एक समान लगे उनको तो, भला बुरा दोनों ही काल।।
    मोल समय का जो पहचानें, दृढ़ संकल्प हृदय में धार।
    सत्य मार्ग पर आगे बढ़ते, हार कभी न करें स्वीकार।।
    हर संकट में अटल रहें जो, कछु न प्रलोभन उन्हें लुभाय।
    जग के ही हित में रहतें जो, कालजयी नर वे कहलाय।।
    समय कभी आहट नहिं देता, यह तो आता है चुपचाप।
    सफल जगत में वे नर होते, लेते इसको पहले भाँप।।
    काल बन्धनों से ऊपर उठ, नेकी के जो करतें काम।
    समय लिखे ऐसों की गाथा, अमर करें वे जग में नाम।।
    बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
    तिनसुकिया
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद