Tag: #बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर ० बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • कश्मीरी पत्थरबाजों पर दोहे

    कश्मीरी पत्थरबाजों पर दोहे

    धरती का जो स्वर्ग था, बना नर्क वह आज।
    गलियों में कश्मीर की, अब दहशत का राज।।
    भटक गये सब नव युवक, फैलाते आतंक।
    सड़कों पर तांडव करें, होकर के निःशंक।।
    उग्रवाद की शह मिली, भटक गये कुछ छात्र।
    ज्ञानार्जन की उम्र में, बने घृणा के पात्र।।
    पत्थरबाजी खुल करें, अल्प नहीं डर व्याप्त।
    सेना का भी भय नहीं, संरक्षण है प्राप्त।।
    स्वारथ की लपटों घिरा, शासन दिखता पस्त।
    छिन्न व्यवस्थाएँ सभी, जनता भय से त्रस्त।।
    खुल के पत्थर बाज़ ये, बरसाते पाषाण।
    देखें सब असहाय हो, कहीं नहीं है त्राण।।
    हाथ सैनिकों के बँधे, करे न शस्त्र प्रयोग।
    पत्थर बाज़ी झेलते, व्यर्थ अन्य उद्योग।।
    सत्ता का आधार है, तुष्टिकरण का मंत्र।
    बेबस जनता आज है, ‘नमन’ तुझे जनतंत्र।।
    बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
    तिनसुकिया
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  • मिल मस्त हो कर फाग में

    मिल मस्त हो कर फाग में

    सब झूम लो रस राग में।
    मिल मस्त हो कर फाग में।।
    खुशियों भरा यह पर्व है।
    इसपे हमें अति गर्व है।।
    यह मास फागुन चाव का।
    ऋतुराज के मधु भाव का।।
    हर और दृश्य सुहावने।
    सब कूँज वृक्ष लुभावने ।।
    मन से मिटा हर क्लेश को।
    उर में रखो मत द्वेष को।।
    क्षण आज है न विलाप का।
    यह पर्व मेल-मिलाप का।।
    मन से जला मद-होलिका।
    धर प्रेम की कर-तूलिका।।
    हम मग्न हों रस रंग में।

    सब झूम फाग उमंग में।।

    लक्षण छंद
    “सजजाग” ये दश वर्ण दो।
    तब छंद ‘संयुत’ स्वाद लो।।
    “सजजाग” = सगण जगण जगण गुरु
    112 121 121 2 = 10 वर्ण
    चार चरण। दो दो समतुकांत


    बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
    तिनसुकिया
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • होली के दोहे – बासुदेव अग्रवाल

    होली के दोहे – बासुदेव अग्रवाल

    होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है। विकिपीडिया

    होली के दोहे – बासुदेव अग्रवाल

    Radha kishna holi
    mohan radha holi

    होली के सब पे चढ़े, मधुर सुहाने रंग।
    पिचकारी चलती कहीं, बाजे कहीं मृदंग।।

    दहके झूम पलाश सब, रतनारे हो आज।
    मानो खेलन रंग को, आया है ऋतुराज।।

    होली के रस की बही, सरस धरा पे धार।
    ऊँच नीच सब भूल कर, करें परस्पर प्यार।।

    फागुन की सब पे चढ़ी, मस्ती अपरम्पार।
    बाल वृद्ध सब झूम के, रस की छोड़े धार।।

    वृन्दावन में जा बसूँ, मन में नित ये आस।
    फागुन में घनश्याम के, रहूँ सदा मैं पास।।

    माथे सजा गुलाल है, फूलों का श्रृंगार।
    वृन्दावन के नाथ पर, तन मन जाऊँ वार।।

    नर नारी सब खेलते, होली मिल कर संग।
    भेद भाव कुछ नहिं रहे, मधुर फाग का रंग।।

    फागुन में मन झूम के, गाये राग मल्हार।
    मधुर चंग की थाप है, मीठी बहे बयार।।

    घुटे भंग जब तक नहीं, रहे अधूरा फाग,
    बजे चंग यदि संग में, खुल जाएँ तब भाग।।

    होली की शुभकामना, रहें सभी मन जोड़।
    नशा यहाँ ऐसा चढ़े, कोउ न जाये छोड़।।

    बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
    तिनसुकिया