आ बैठे उस पगडण्डी पर – बाबू लाल शर्मा
आ बैठे उस पगडण्डी पर – बाबू लाल शर्मा आ बैठे उस पगडण्डी पर,जिनसे जीवन शुरू हुआ था। बचपन गुरबत खेलकूद में,उसके बाद पढ़े जमकर थे।रोजगार पाकर हम मन में,तब फूले ,यौवन मधुकर थे।भार गृहस्थी ढोने लगते,जब से संगिनी साथ…
आ बैठे उस पगडण्डी पर – बाबू लाल शर्मा आ बैठे उस पगडण्डी पर,जिनसे जीवन शुरू हुआ था। बचपन गुरबत खेलकूद में,उसके बाद पढ़े जमकर थे।रोजगार पाकर हम मन में,तब फूले ,यौवन मधुकर थे।भार गृहस्थी ढोने लगते,जब से संगिनी साथ…
बचपन की यादें -साधना मिश्रा वो वृक्षों के झूले वो अल्हड़ अठखेलियां।वो तालाबों का पानी वो बचपन की नादानियां। वो सखाओं संग मस्ती वो हसीं वादियां।वो कंचा कंकड़ खेलना वो लड़ना झगड़ना। वो छोटा सा आंगन वो बारिश का पानी।वो…
बहुत याद आता हैं बचपन का होना वो बचपन में रोना बीछावन पे सोना,,छान देना उछल कूद कर धर का कोना,,बैठी कोने में माँ जी का आँचल भिगोना,,माँ डाटी व बोली लो खेलो खिलौना,,बहुत याद आता हैं बचपन का होना।।…