आ बैठे उस पगडण्डी पर – बाबू लाल शर्मा
आ बैठे उस पगडण्डी पर – बाबू लाल शर्मा आ बैठे उस पगडण्डी पर,जिनसे जीवन शुरू हुआ था। बचपन गुरबत खेलकूद में,उसके बाद पढ़े जमकर थे।रोजगार पाकर हम मन में,तब फूले ,यौवन मधुकर थे।भार गृहस्थी ढोने लगते,जब से संगिनी साथ हुआ था।आ बैठे उस पगडण्डी परजिनसे जीवन शुरू हुआ था। रिश्तों की तरुणाई हारी,वेतन से … Read more