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Hindi poem on food

  • श्रेष्ठ शाकाहार है/ डॉ ओमकार साहू

    श्रेष्ठ शाकाहार है/ डॉ ओमकार साहू

    श्रेष्ठ शाकाहार है
    घास की रोटी चबाना, प्रेम का संचार है।…
    यह महाराणा प्रदर्शित, श्रेष्ठ शाकाहार है।।…

    जैन आगम की तरह है, ज्ञान घासीदास के।
    भोज शाकाहार दाता, सुख दया विश्वास के।।
    बुद्ध कहते जंतुओं से, प्रेम का विस्तार है।…
    यह महाराणा प्रदर्शित, श्रेष्ठ शाकाहार है।।…

    जीव की हत्या हमारी, भूल है अधिकार का।
    श्रृंखला आहार तोड़े, है पतन व्यवहार का।।
    *अन्न अंकुर भोज्य में हो, थाल का श्रृंगार है।… *
    यह महाराणा प्रदर्शित, श्रेष्ठ शाकाहार है।।…

    सुन कबीरा वाणियों को, जो जगत संदेश दे।
    शुद्धता वातावरण में, शांति का परिवेश दे।।
    जानवर सा माँस भक्षण, क्रोध का आधार है।
    यह महाराणा प्रदर्शित, श्रेष्ठ शाकाहार है।।…

    मानवी धर्मावलंबी, यह प्रथम कर्तव्य है।
    प्राणियों की हो सुरक्षा, धारणाएँ श्रव्य हैं।।
    पेड़ पर निर्भर हमारा, श्वासमय संसार है।…
    यह महाराणा प्रदर्शित, श्रेष्ठ शाकाहार है।।…

    वाक्य गाँधी ने कहे वह, कल्पनाएँ राम का।
    आज भी सद्भावना है लक्ष्य मथुरा ग्राम का।।
    साग हो आहार सबका, जीव भी परिवार है।…
    यह महाराणा प्रदर्शित, श्रेष्ठ शाकाहार है।।…

    ★डॉ ओमकार साहू मृदुल,20.12.2023★

  • शाकाहारी जीवन/ विनोद कुमार चौहान जोगी

    शाकाहारी जीवन/ विनोद कुमार चौहान जोगी

    छन्न-पकैया छन्न-पकैया

    छन्न-पकैया छन्न-पकैया, सुन लो बात हमारी।
    अच्छी सेहत चाहो जो तुम, बनना शाकाहारी।।

    छन्न-पकैया छन्न-पकैया, जो हो शाकाहारी।
    रक्तचाप में संयम रहता, होती नहीं बिमारी।।

    छन्न-पकैया छन्न-पकैया, सादा भोजन करना।
    लंबा जीवन मिलता जोगी, पड़े न पीड़ा सहना।।

    छन्न-पकैया छन्न-पकैया, बनो न माँसाहारी।
    मोटापा बढ़ता है उससे, बढ़ती है लाचारी।।

    छन्न-पकैया छन्न-पकैया, मुख मण्डल है निखरे।
    माँसाहार करें जब हम तो, लाखों जीवन बिखरे।।

    छन्न-पकैया छन्न-पकैया, हृदय खिन्नता घटती।
    शाकाहारी लोगों की तो, सुनो उम्र भी बढ़ती।।

    छन्न-पकैया छन्न-पकैया, विनती करता जोगी।
    सादा जीवन की चाहत में, पाओ गात निरोगी।।

    विनोद कुमार चौहान “जोगी”

  • अपनाओ सब शाकाहार/ डाॅ इन्द्राणी साहू

    अपनाओ सब शाकाहार/ डाॅ इन्द्राणी साहू

    अपनाओ सब शाकाहार

    हृष्ट-पुष्ट तन रखे निरोगी, दे यह सात्विक शुद्ध विचार।
    सर्वोत्तम आहार यही है, अपनाओ सब शाकाहार।।

    मार निरर्थक मूक जीव को, देना उन्हें नहीं संत्रास।
    ऐसे निर्मम पाप कर्म का, व्यर्थ बनो मत तुम तो ग्रास।
    दास बनो मत तुम जिह्वा के, करो तामसिक भोजन त्याग।
    कंद-मूल फल फूल-सब्जियाँ, रखो अन्न से ही अनुराग।
    शाकाहारी खाद्य वस्तु से, भरा सृष्टि का यह भण्डार।
    सर्वोत्तम आहार यही है, अपनाओ सब शाकाहार।।

    मानव दाँत-आँत की रचना, शाकाहारी के अनुकूल।
    मांसाहारी भोज्य ग्रहण कर, फिर क्यों करते हो तुम भूल।
    मांसाहारी खाद्य वस्तुएँ, हैं गरिष्ठ रोगों का मूल।
    पाचन क्रिया प्रभावित कर ये, चुभे उदर में बनकर शूल।
    सात्विक भोजन शुद्ध आचरण, रखे बुद्धि को मुक्त विकार।
    सर्वोत्तम आहार यही है, अपनाओ सब शाकाहार।।

    कार्बोहाइड्रेट विटामिन, स्रोत वसा रेशा प्रोटीन।
    दाल-सब्जियाँ अन्न- कंद फल, सात्विक भोज्य यही प्राचीन।
    मित्र उदर की हरी सब्जियाँ, रखतीं तन को सदा निरोग।
    सत्त्वगुणों की वर्धक बनकर, बनतीं सुख का शुभ संयोग।
    यह संकल्प उठाओ “साँची”, शाकाहारी हो संसार।
    सर्वोत्तम आहार यही है, अपनाओ सब शाकाहार।।

    डॉ0 इन्द्राणी साहू “साँची”
    भाटापारा (छत्तीसगढ़)

  • शाकाहार पर दोहे/ नीरामणी श्रीवास नियति

    शाकाहार पर दोहे/ नीरामणी श्रीवास नियति

    शाकाहार पर दोहे/ नीरामणी श्रीवास नियति

    दोहा – शाकाहारी

    उत्तम हो आहार जब, देह पुष्ट हो जान।
    अनुचित भोजन से सदा, बिगडे तन का मान।।

    भोजन से ही जानिए, बनता मनुज स्वभाव।
    शाकाहारी भोज्य से, रखिए सदा लगाव।।

    शेर माँस खाकर सदा, गुर्राता है नित्य।
    नित निरीह पशु की करे, हत्या वाला कृत्य।।

    शाकाहारी जीव का, रहता शांत स्वभाव।
    मांसाहारी भोज्य से, करता सदा दुराव।।

    हरी सब्जियों से मिले, पोषक तत्व हजार।
    इसी लिए सब संत जन, रहते शाकाहार।।

    असुर वृत्ति के लोग ही, करते मांसाहार।
    आतुर लड़ने के लिए, रहते हैं तैयार।।

    शाकाहारी भोज्य है, सर्वोत्तम आहार।
    करे संतुलित देह को, मिले पुष्ट आकार।।

    सभी प्राणियों के लिए, निर्धारित आहार।
    फिर क्यों मांसाहार से, करे मनुज नित प्यार।।

    शाकाहारी ही बनो, यही प्रकृति की देन।
    इनसे हटकर जो चले, रहता है बेचैन।।

    मांसाहारी लोग नित, हत्या करते जीव।
    उनके इसी कुकृत्य से, मिलते कष्ट अतीव।।

    नीरामणी श्रीवास नियति
    कसडोल छत्तीसगढ़

  • ऐसा भी कल आयेगा/ अनिता तिवारी

    ऐसा भी कल आयेगा/ अनिता तिवारी

    ऐसा भी कल आयेगा/ अनिता तिवारी

    सोच नहीं सकता था कोई,
    ऐसा भी दिन आयेगा।
    जीव काटकर भी यह मानव,
    मार पालथी खायेगा।

    प्रकृति ने उपलब्ध कराई,
    सब्जी सुंदर, ताजे फल।
    कंदमूल और अन्न साथ में,
    पीने का था निर्मल जल।

    किन्तु सीमा लाँघी इसने,
    ताक रखा कानून भी सारा।
    मांस भक्षण के खातिर ही,
    अबोध जीवों को इसने मारा।

    आज आह उन पशुओं की,
    अकाल मृत्यु बन आई है।
    कोरोना महामारी लाकर,
    जिसने यहाँ बढ़ाई है।

    संवेदन को खोकर तुमने,
    विपदा स्वयं बुलाई है।
    अभी संभल जा हे मानव,
    जीवन से क्या रुसवाई है।

    समय बीत जाने पर मानव,
    हाथ नहीं कुछ आयेगा।
    करनी का फल भोगेगा,
    बेमौत ही मारा जायेगा।

    अनिता तिवारी “देविका”
    बैकुण्ठपुर (छत्तीसगढ़)