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Hindi poem on food

  • शाकाहार/ वीरेंद्र सालेचा

    शाकाहार/ वीरेंद्र सालेचा

    Vegetable Vegan Fruit

    शाकाहार सर्वोत्तम आहार

    तीर्थंकर के वर्तमान प्रतिनिधि,
    देते जग को अणुव्रतों का संदेश।
    मांसाहार को त्याग कर इंसान,
    शाकाहार अपनाए विश्व के देश।।

    किसी धर्म सम्प्रदाय ग्रंथ में नहीं,
    मिलता हिंसा को तनिक भी स्थान।
    फिर क्यों भोजन की थाली में,
    पिरोसा जाता मांसाहारी पकवान।।

    मांसाहार से होती तन में व्याधि,
    कई बीमारियों की लाती उपाधि।
    तामसिक आहार से मति बिगड़ती,
    देश मे बनते कई नए अपराधी।।

    अबोल पशुओ के करुण चीत्कार
    से बना भोजन नहीं है हितकारी
    जीवदयाकर मांसाहार को त्यागे
    बन जाये व्यक्ति पूर्ण शाकाहारी

    मूकबधिर जानवरों के खान पान से,
    विश्व मे फैलती जानलेवा महामारी।
    स्वस्थ शरीर स्वस्थ देश बनाने हेतु,
    आज से ही बन जाये पूर्ण शाकाहारी।।

    🖋 वीरेंद्र सालेचा- अहमदाबाद

  • करें न तामसिक आहार /सुमा मण्डल

    करें न तामसिक आहार /सुमा मण्डल

    करें न तामसिक आहार /सुमा मण्डल

    Vegetable Vegan Fruit

    हम मनुष्य हैं ,कोई दैत्य – दानव नहीं,
    क्यों दैत्यों – दानवों के पग पर पग धरते हैं?
    मनुष्य होकर क्यों दैत्य- दानवों सा कृत्य करते हैं?
    क्यों शुद्ध सात्विक आहार को छोड़कर,
    तामसिक आहार पे हम टूट पड़ते हैं?
    खाकर तामसिक आहार को फिर,
    अवगुणों का सारा पिटारा अपने अंदर में भरते हैं ।

    त्रिगुणमयी संसार में होता है सब त्रिगुणमयिक।
    आहार भी सात्विक राजसिक और तामसिक।
    तामसिक आहार नहीं चाहिए खाना।
    अपने अंदर हैवान को नहीं चाहिए जगाना।

    ढलता है आचरण में आहार का ही गुण।
    तामसिक आहार करवा देता है मनुष्य से मनुष्यता का खून।
    चेतना शून्य कर अमानुष बना देता है।
    अपने वश में फिर पूरी तरह कर लेता है।

    हम भी एक जीव हैं,
    वे भी एक जीव हैं।
    हमें भी दर्द का एहसास होता है,
    उन्हें भी दर्द का एहसास होता है।
    फिर क्यों अपनी तृष्णा के खातिर,
    हम ऐसा हैवान बन जाते हैं?
    बड़ी निर्ममता से हत्या कर उनकी,
    बड़ी चाव से फिर उन्हें हम खाते हैं।

    सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ, सर्वोच्च देहधारी मनुष्य ,
    देवता भी तरसते हैं इस देह को पाने के लिए।
    मुक्ति का द्वार यह मनुष्य देह,
    मिला नहीं है संसार में सिर्फ खाने के लिए।
    चार खानि चौरासी लाख योनियों में
    भटकने के बाद मिलता है यह तब।
    अखिल ब्रह्माण्ड नायक श्री हरि जी,
    करुणा कर अपनी करूणा बरसातें हैं जब।

    इस देह का उद्देश्य भोग करना नहीं,
    ईश्वर संग योग कर ईश्वर में समाना है।
    सदा शुद्ध सात्विक आहार कर,
    प्रभु की परम कृपा कमाना है।
    करते हैं क्यों तामसिक आहार
    प्रभु के द्वार से दूर भटकने के लिए ?
    क्यों स्वयं को बनाते हैं इस योग्य
    यमराज के द्वारा के फंदे में लटकने के लिए ?

    करें न तामसिक आहार /सुमा मण्डल

    मांस के साथ – साथ तामसिक आहार में आते हैं लहसुन-प्याज भी।
    उड़द मसूर की गणना भी जाती है इसी में की।
    संसार में अच्छी – अच्छी वस्तुओं की कमी नहीं खाने के लिए।
    अच्छी – अच्छी वस्तुओं को छोड़कर, क्यों लालायित रहते हैं तामसिक आहार पाने के लिए?

    तामसिक आहार न अब से ग्रहण करें हम।
    जीवों की हत्या कर जीवों को न दें गम।
    करें न जीव हत्या का पाप का करम।
    कहता भी है हमसे यही हमारा सत्य सनातन धरम।

    रचयिता -श्रीमती सुमा मण्डल
    वार्ड क्रमांक 14 पी व्ही 116
    नगर पंचायत पखांजूर
    जिला कांकेर, छत्तीसगढ़

  • शाकाहार भोजन के महत्वपूर्ण तथ्य

    शाकाहार भोजन के महत्वपूर्ण तथ्य

    शाकाहार भोजन सिर्फ पौधों से प्राप्त यानी प्राकृतिक रूप से मिलने वाले खाद्य उत्पाद होते हैं।

    शाकाहारी आहार में खाने वाले खाद्य पदार्थ

    शाकाहारी भोजन में पौधों से मिलने वाले सभी खाद्य पदार्थ जैसे साबुत अनाज, नट्स, फलियां, फल और सब्जियां शामिल होती हैं।

    शाकाहारी आहार में न खाने वाले खाद्य पदार्थ

    शाकाहारी भोजन का सेवन करने वाले लोग जानवरों से प्राप्त भोजन नहीं खाते हैं। शाकाहारी भोजन का पालन करने वाले लोग जानवरों का मांस, जानवरों के उप-उत्पाद या किसी भी पशु सामग्री वाले भोजन को खाने से बचते हैं, जिनमें निम्नलिखित चीज़ शामिल हो सकते हैं:

    Vegetable Vegan Fruit
    • मांस और मुर्गी पालन
    • मछली और समुद्री भोजन
    • दूध से बने उत्पाद
    • अंडे
    • शहद वाले उत्पाद
    • पशु-आधारित सामग्री

    शाकाहारी लोग ऐसे किसी भी उत्पाद से बचने की कोशिश करते हैं, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जानवरों से बना हो जैसे रेशम, ऊन और चमड़ा। शाकाहारी भोजन, कपड़े और अन्य उद्देश्यों के लिए जानवरों के प्रति क्रूरता को रोकने का एक तरीका है। 

    शाकाहारी भोजन : महंगा या सस्ता

    शाकाहारी भोजन ज़्यादा महंगा नहीं होता, जिससे स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलती है। खासतौर से भारत जैसे देश में सब्जियां सबसे ज़्यादा हैं, जो सबसे सस्ती सामग्री हैं। अगर आप मांसाहारी हैं, तो सभी मांसाहार को छोड़ना आपके लिए काफी मुश्किल हो सकता है।

    शाकाहारी भोजन में पोषण

    अगर शाकाहारी लोग अलग-अलग तरह के खाद्य पदार्थ नहीं खा रहे हैं, तो उनमें कुछ सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी विकसित हो सकती है। कुछ पोषक तत्वों को डेयरी उत्पादों और अंडों से से बदलने की ज़रूरत होती है, जैसे-

    कैल्शियम- दूध कैल्शियम का मुख्य स्रोत है, लेकिन शाकाहारी लोगों के लिए इसे सोया दूध, फोर्टिफाइड संतरे का रस, ब्रोकली, केल और बादाम से बदला जा सकता है।

    ओमेगा -3 फैटी एसिड- अलसी, वनस्पति तेल शाकाहारी लोगों के लिए ओमेगा -3 का एक अच्छा स्रोत है।

    विटामिन बी12- यह पोषक तत्व पौधों से प्राप्त करना मुश्किल है। ऐसे में भोजन से नहीं मिलने वाले पोषक तत्वों की भरपाई के लिए शाकाहारी लोगों को पूरक (सप्लीमेंट) लेने की ज़रूरत होती है।

    एक शाकाहारी व्यक्ति को शरीर के सभी कार्य के लिए पर्याप्त प्रोटीन, कैल्शियम, ओमेगा -3 फैटी एसिड, जिंक और विटामिन बी 12 मिलना चाहिए। यह सभी आपके शरीर में सभी रासायनिक प्रतिक्रियाओं को शक्ति प्रदान करने के लिए ज़रूरी है।

  • शाकाहारी दिवस पर कविता

    शाकाहारी दिवस पर कविता

    प्रत्येक वर्ष 1 नवंबर को विश्व स्तर पर वर्ल्ड वैगन डे यानि विश्व शाकाहारी दिवस मनाया जाता है। यह दिन मनुष्यों, जानवरों और प्राकृतिक पर्यावरण के लिए शाकाहारी होने के लाभ के बारे में प्रचार-प्रसार करने लिए मनाया जाता है। विश्व शाकाहारी दिवस आम तौर पर शाकाहारी भोजन और शाकाहारी होने के लाभों को बढ़ावा देने का एक अवसर है। शाकाहारी दिवस पर कविता पर आधारति है ये कविताएँ

    Vegetable Vegan Fruit
    शाकाहारी दिवस

    शाकाहारी दिवस पर कविता

    कंद-मूल खाने वालों से
    मांसाहारी डरते थे।।

    पोरस जैसे शूर-वीर को
    नमन ‘सिकंदर’ करते थे॥

    चौदह वर्षों तक खूंखारी
    वन में जिसका धाम था।।

    मन-मन्दिर में बसने वाला
    शाकाहारी *राम* था।।

    चाहते तो खा सकते थे वो
    मांस पशु के ढेरो में।।

    लेकिन उनको प्यार मिला
    ‘शबरी’ के जूठे बेरो में॥

    चक्र सुदर्शन धारी थे
    गोवर्धन पर भारी थे॥

    मुरली से वश करने वाले
    गिरधर’ शाकाहारी थे॥

    पर-सेवा, पर-प्रेम का परचम
    चोटी पर फहराया था।।

    निर्धन की कुटिया में जाकर
    जिसने मान बढाया था॥

    सपने जिसने देखे थे
    मानवता के विस्तार के।

    नानक जैसे महा-संत थे
    वाचक शाकाहार के॥

    उठो जरा तुम पढ़ कर देखो
    गौरवमय इतिहास को।।

    आदम से आदी तक फैले
    इस नीले आकाश को॥

    दया की आँखे खोल देख लो
    पशु के करुण क्रंदन को।।

    इंसानों का जिस्म बना है
    शाकाहारी भोजन को॥

    अंग लाश के खा जाए
    क्या फ़िर भी वो इंसान है?

    पेट तुम्हारा मुर्दाघर है
    या कोई कब्रिस्तान है?

    आँखे कितना रोती हैं जब
    उंगली अपनी जलती है

    सोचो उस तड़पन की हद               
    जब जिस्म पे आरी चलती है॥

    बेबसता तुम पशु की देखो
    बचने के आसार नही।।

    जीते जी तन काटा जाए,
    उस पीडा का पार नही॥

    खाने से पहले बिरयानी,
    चीख जीव की सुन लेते।।

    करुणा के वश होकर तुम भी
    गिरी गिरनार को चुन लेते॥

    -अज्ञात