Tag Hindi poem on Dhanteras

कार्तिक कृष्ण द्वादशी धनतेरस :धनतेरस की शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा के समय घी का दीपक जलाएं। कुबेर को सफेद मिठाई और भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई चढ़ाएं। पूजा करते समय कुबेर मंत्र का जाप करना चाहिए।

धनतेरस पर कविताएं: Poems on Dhanteras in hindi

धनतेरस पर कविताएं: कार्तिक माह (पूर्णिमान्त) की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूँकि…

धनवन्तरि भगवान पर कविता

धनवन्तरि भगवान ====================मंथन हुआ समुद्र का, धनवन्तरि भगवान। चौदह रत्नों मे मिले, लिए देव पहचान।। कर मे अमृत कलश था , देव -दनुज मे छोभ। पीने का नहि संवरण, कर पाये वे लोभ।।विश्व मोहिनी हाथ से, अमृत गया परोस। सुर…

धनतेरस पर कविता

धनतेरस पर कविता अमृत कलश के धारक,सागर मंथन से निकले।सुख समृद्धि स्वास्थ्य के,देव आर्युवेद के विरले।चार भुजा शंख चक्र,औषध अमृत कलश धारी।विष्णु के अवतार हैं देव,करें कमल पर सवारी।आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि,हैं आरोग्य के देवता।कार्तिक त्रयोदशी जन्म हुआ,कृपा करें धनदेवता।पीतल…

चटनी पर कविता

चटनी पर कविता चटनी लहसुन पीसना,लेना इसका स्वाद।डाल टमाटर मिर्च को,धनिया रखना याद।। अदरक चटनी रोज ले,भागे दूर जुकाम।खाँसी सत्यानाश हो,करते रहना काम।। चटनी खाना आम की,मिलकर के परिवार।उँगली अपनी चाट ले,मुँह में आवे लार।। चंद करेला पीसकर,खाना इसको शूर।गुणकारी…

धनतेरस पर कविता-सुकमोती चौहान रुची

धनतेरस पर कविता सजा धजा बाजार, चहल पहल मची भारीधनतेरस का वार,करें सब खरीद दारी।जगमग होती शाम,दीप दर दर है जलते।लिए पटाखे हाथ,सभी बच्चे खुश लगते।खुशियाँ भर लें जिंदगी,सबको है शुभकामना।रुचि अंतस का तम मिटे,जगे हृदय सद्भावना। ✍ सुकमोती चौहान…

धनतेरस त्यौहार पर कविता-संतोष नेमा “संतोष”

धनतेरस त्यौहार पर कविता धन की वर्षा हो सदा,हो मन में उल्लास तन स्वथ्य हो आपका,खुशियों का हो वास जीवन में लाये सदा,नित नव खुशी अपारधनतेरस के पर्व पर,धन की हो बौछार सुख समृद्धि शांति मिले,फैले कारोबाररोशनी से रहे भरा,धनतेरस…

doha sangrah

धनतेरस के दोहे (Dhanteras Dohe)

धनतेरस के दोहे (Dhanteras Dohe) धनतेरस का पुण्य दिन, जग में बड़ा अनूप।रत्न चतुर्दश थे मिले, वैभव के प्रतिरूप।। आज दिवस धनवंतरी, लाए अमृत साथ।रोग विपद को टालते, सर पे जिसके हाथ।। देव दनुज सागर मथे, बना वासुकी डोर।मँदराचल थामे…