भारत के वीर – पंडित अमित कुमार शर्मा
भारत के वीर – पंडित अमित कुमार शर्मा उगा है सूरज जो आज खुशियों कालहर रहा तिरंगा जो भारत काचमक उठी है जो सबके चेहरे परये देन है वीर जवानों का। चलते हैं बर्फ परजब हम अपने बिस्तर में होते…
An anthem consisting of voice, verse and rhythm is called a song. The song is a popular Bhagya genre. It has a mouth and a few nerves. The mouth is repeated after each interval. The song is sung.
भारत के वीर – पंडित अमित कुमार शर्मा उगा है सूरज जो आज खुशियों कालहर रहा तिरंगा जो भारत काचमक उठी है जो सबके चेहरे परये देन है वीर जवानों का। चलते हैं बर्फ परजब हम अपने बिस्तर में होते…
अरमान तिरंगा है – रामनाथ साहू ” ननकी मेरी आन तिरंगा है ,हर पहचान तिरंगा है ।मेरा ये जीना मरना ,सब अरमान तिरंगा है ।। हर स्वर सप्तक बलिदानी ,नव अभियान तिरंगा है ।होश जोश प्रण पथ यारी ,जन बलिदान…
सेवा -प्रेम आधारित कविता सेवा ,प्रेम पुण्योदय से हो जाओ मालामाल।प्रभु खुशियों से झोली भर कर, हे मानव तुम्हें कर देंगे खुशहाल। जनहित के कार्य करो, कोई ना रहे बेहाल।परमार्थ में जीवन बीते,सबके जीवन में,उड़ाओ खुशी गुलाल।मन, कर्म ,वचन से…
कविता सांसारिक चक्र के दुःख संकट से घबराकर भागने की अपेक्षा इन सब विपत्तियों को चुनौती की तरह स्वीकार कर कृष्ण के कर्मयोग पथ पर चलने की राह प्रशस्त करती है।
हिंदी काव्य में नवीन विधि और प्रयोग के रूप में सृजित स्वरचित प्रेरणादायक अमात्रिक काव्य रचना --एक कदम चल...
यह मेरी मौलिक जागरण कविता है,जो उपेन्द्रवज्रा छंद में है।जब कभी मन जीवन के उद्देश्य से भटककर नैराश्य और अंधकार की ओर प्रवृत होने लगता है,तब यह कविता नई ऊर्जा और नया उद्देश्य देती है।
देश भक्ति से प्रेरित
आश्विन नवरात्र में मां दुर्गा की स्वरचित शक्ति आराधना
स्वर्ण की सीढ़ी चढी है – बाबू लाल शर्मा चाँदनी उतरी सुनहलीदेख वसुधा जगमगाई।ताकते सपने सितारेअप्सरा मन में लजाई।। शंख फूँका यौवनों मेंमीत ढूँढे कोकिलाएँसागरों में डूबने हितसरित बहती गीत गाएँ पोखरों में ज्वार आयाझील बापी कसमसाई।चाँदनी……………….।। हार कवि ने…
गुलमोहर है गुनगुुनाता – बाबू लाल शर्मा गुलमोहर है गुनगुुनाता,अमलतासी सी गज़ल। रीती रीती सी घटाएँ,पवन की अठखेलियाँ।झूमें डोलें पेड़ सारे,बालियाँ अलबेलियाँ।गीत गाते स्वेद नहाये,काटते हम भी फसल।गुलमोहर है गुनगुनाता,अमलतासी सी गज़ल। बीज अरमानों का बोया,खाद डाली प्रीति की।फसलें सींची…