Tag: kevra yadu meera ki kavita

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०केवरा यदु मीरा के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • कविता मेरी ऐसी हो

    कविता मेरी ऐसी हो

    कविता मेरी  ऐसी हो
    जिसमें हो कोई संदेश ।
    संतों की वाणी हो जिसमें
    गीता का उपदेश ।
    गौतम हो गुरू नानक हो
    हो उनकी गुरु वाणी
    गंगा जल की पवित्रता हो
    महानदी का पानी ।
    गंगा से सिंचित कविता को
    मिले नया  परिवेश ।
    संतों की वाणी हो जिसमें
    गीता का उपदेश ।
    लक्ष्मी बाई हो कविता में
    भगत सिंग  बलिदानी ।
    विस्मिल और सुभाष भी हो
    इतिहास की अमर कहानी
    मेरी कविता में  छुपा हो
    गाँधी जी का वेश ।
    संतों की वाणी हो जिसमें
    गीता का उपदेश ।
    मेहनत हो जिसमें कृषकों की
    खेतों की हरियाली ।
    धान का कटोरा  हो
    होली और दिवाली ।
    रंग गुलाल सने कविता को
    चकित हो दुनिया देख ।
    संतों की वाणी हो जिसमें
    गीता का उपदेश ।
    सिया राम हो भाई भरत हो
    और हो अवध नगरिया ।
    भातृ प्रेम से भरा हुआ हो
    और कौशल्या मैंया ।
    कल बहती सरयू हो
    जिससे मिल जाये वेग ।
    संतों की वाणी हो जिसमें
    गीता का हो संदेश ।
    राधा कृष्ण का अमर प्रीत हो
    ग्वालों का अपना पन ।
    “मीरा ” हो गिरधर दिवानी
    कान्हा का बृन्दाबन ।
    विरहन गोपियों को मिले
    उधो का संदेश ।
    संतों की वाणी हो जिसमें
    गीता का उपदेश ।।
    हो चाहे वह हिन्दू मुस्लिम
    हो वह सिख ईसाई ।
    राम रहीम  अल्लाह एक है
    हम सब भाई भाई ।
    गीता बाईबल संग संग गूँजे
    न हो मन में कोई द्वेष ।
    संतों की वाणी हो जिसमें
    गीता का उपदेश
    कविता मेरी ऐसी हो जिसमें
    हो कोई संदेश ।
    संतों की—
    केवरा यदु “मीरा “
    राजिम
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • सुन मैंया मोरी राधा से ब्याह करादे

    सुन मैंया मोरी राधा से ब्याह करादे

    सुन मैंया मोरी राधा से ब्याह करादे ।
    राधा मेरो मन को भावे माता मोहि दिलादे ।
    सुन मैंया मोरी राधा से ब्याह करादे ।
    मैंया –  ना ना लाला तू अभी है छोटा ।
    अकल का भी तू है   मोटा ।
    इस बात को दिल से भुलादे
    रे कान्हा अभी ब्याह की बात भुलादे।।
    कान्हा –गैया चराने मैंया मैं न जाऊँ ।
    माखन मिसरी  माँ  मैं  न खाऊँ ।
    बस राधा ही मोहि दिलादे ।
    सुन मैंया मोरी राधा से ब्याह करादे।।
    मैंया–तू जाता गइयन के पीछे ।
    राधा जायेगी तेरे पीछे पीछे ।
    लाला बात  तू दिल से भुलादे ।
    रे कान्हा अभी ब्याह की बात भुलादे ।।
    कान्हा-आयेगी राधा मैंया सेवा करेगी ।
    दूध दही  मटकी  से भरेगी ।
    मैंया चाहे तो तू पाँव दबवाले ।
    सुन मैंया मोरी राधा से ब्याह करादे।।

    केवरा यदु “मीरा “
    राजिम
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • धरती माता रो रो कर करती यही पुकार

    धरती माता रो रो कर करती यही पुकार

    धरती माता रो रो कर करती  यही पुकार ।
    न मेरा रूप बिगाड़ो रे मनुज तुम  मुझे  संवारो ।।
    महल बना कर बड़े बड़े
    तुम बोझ न मुझ पर डालो ।
    पेड़ पौधों को काट काट
    कर न पर्यावरण  बिगाड़ो।
    मैं हूँ सबकी भाग्य विधाता
    सब जीवों से मुझे प्यार ।।
    न मेरा रूप बिगाड़ो रे
    मनुज तुम मुझे संवारो ।।
    मेरे गोद में जन्म लिया तू
    मुझसे जीवन पाया
    अन्न फल फूल  देकर
    तेरे जीवन को महकाया ।
    मानव तू अंतस में  झाँक कर
    मन में  तनिक  विचार ।
    न मेरा रूप बिगाड़ो रे
    मनुज तुम मुझे संवारो ।।
    चाँद निकलता मैं हँसती
    सूर्य ताप  सह जाती हूँ ।
    कलरव करती चिडिया
    आँगन मन ही मन मुस्काती हूँ ।
    कूडा करकट न डाल तू  मुझपे
    प्रदूषण को भी संभाल ।
    न मेरा रूप बिगाड़ो रे
    मनुज तुम मुझे संवारो ।
    धरती माता रो रो कर
    करती यही पुकार ।
    न मेरा रूप—

    केवरा यदु “मीरा “
    राजिम
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • हे सुरूज देंवता अतका झन ततिया

    हे सुरूज देंवता अतका झन ततिया

    हे सुरूज देंवता अतका झन ततिया।
    तोर हाँथ जोरत हँव तोर पाँव परत हँव आगी झन बरसा।।
    चिरई चिरगुन के खोंधरा तिप गे अंड़ा घलो घोलागे।
    नान्हे चिरई उड़े बर सीखिस ड़ेना ओकर भुंजागे।
    रूख राई जम्मो झवांगे अतका झन अगिया।
    हे सुरूज देंवता अतका झन ततिया।
    बेंदरा भालू पानी पिये बर बस्ती भीतर खुसरगे।
    हिरन बिचारी मोर गांव मा कुकुर मन ले हबरगे।
    जिवरा छुटगे खोजत खोजत नदिया नरवा तरिया।।
    हे सुरूज देंवता अतका झन ततिया।
    चील कऊँवा अऊ चमगेदरी पट पट भुईंया मा गिरत हे।
    बिन पानी जंगल के राजा बस्ती भीतरी खुसरत हे।
    पानी पानी पानी के बिन जिनगी हे बिरथा।
    हे सुरूज देंवता अतका झन ततिया।।
    होवत बिहनिया सुरूज देंवता अपन रूप ला देखावत हे।
    गाड़ी वाला साइकिल वाला मुड़ी ला बाँध के आवत हे।
    घाम अऊ लू के मारे जी होगे अधमरिया।।
    हे सुरूज देंवता अतका झन ततिया।
    बरखा दाई एको कन तो तँयहा किरपा करदे।
    अठवरिया मा आके थोरकिन खँचका ड़बरा ला भरदे।
    आबे दाई तभे बाँचही जम्मो झन के जिवरा।।
    हे सुरूज देंवता अतका झन ततिया।
    तोर हाँथ जोरत हँव तोर पाँव परत हँव आगीझन बरसा।।
    हे  सुरूज देंवता अतका झन ततिया।
    केवरा यदु”मीरा”
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  • राम नवमी शुभ घड़ी आई

    राम नवमी शुभ घड़ी आई

    चैत्र शुक्ल श्री राम नवमी Chaitra Shukla Shri Ram Navami
    चैत्र शुक्ल श्री राम नवमी Chaitra Shukla Shri Ram Navami

    राम नवमी  शुभ घड़ी आई
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।।
    राम लक्ष्मण भरत शत्रुघन
    आये जगत पति त्रिभुवन तारण ।
    बाजत दशरथ आँगन शहनाई
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।।
    सखियाँ मिलकर मंगल गाती
    जगमग जगमग दीप जलाती
    स्वर्ग से देवियाँ  फूल बरसाई
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।।
    तीनों मैंया    पलना झुलावे
    मुखड़ा चूम चूम लाड लड़ा वे
    चँहुदिशि  गूँजे बधाई हो बधाई ।
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।।
    मोती लुटाती मैंया भर भर थारी
    दास दासियाँ    जाती  वारी ।
    गज मोतियन चौक     पुराई।
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।।
    चौथे पन सुत पाये चार है
    राजा दशरथ मन खुशी अपार है
    राम नवमी शुभ घड़ी आई
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।।
    शंख नाद कर  भोले जी आये
    संग में हनुमत वानर    लाये
    नाच नाच रिझाये रघुराई
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।।
    कलयुग में भी आओ राम जी
    अत्याचार  मिटाओ राम जी
    कब से बैठी  है शबरी माई ।
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।।
    रावण दुशासन से आके बचाओ
    धनुष टंकार इक बार  सुनाओ
    मीरा ” कर जोड़ मनायें रघुराई ।।
    अवध में जन्म लिये रघुराई ।

    केवरा यदु “मीरा “
    राजिम
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद