सूरज पर कविता – सुकमोती चौहान “रुचि
सूरज पर कविता – सुकमोती चौहान “रुचि रवि की शाश्वत किरण – सीसरिता की अनवरत धार – सीलेखनी मेरी चलती रहनाजन-जन की वाणी बनकरमधुर संगीत घोलती रहनाउजड़े जीवन की नीरसता में।छा जाना मधुमास बनकरपतझड़ की वीरानी में। तुम्हें करनी है…