माँ पर कविता
माँ पर कविता बड़ी हसरत भरी आँखे लिए क्या ताकती है माँ ।नहीं कहती जुबाँ से वो मगर कुछ चाहती है माँ ।।बदलते रोज हम कपड़े नये फैशन जमाने के ,तुम्हे कुछ है पता साड़ी पुरानी टांकती है माँ ।अगर कोई कभी आये तुम्हारे घर जरा देखो ,कमी कोई न हो अक़सर झरोखे झांकती … Read more