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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०डा० डॉ एन के सेठी के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • कवि पर दोहे

    कवि पर दोहे

    विधी की सृष्टि से बड़ा, कवि रचना संसार।
    षडरस से भी है अधिक,इसका रस भंडार।।1।।


    विधि रचना संसार का,इक दिन होता अंत।
    कवि की रचना का कभी ,कभी न होता अंत।।2।।


    रवि नही पहुँचे जहां,कवी पहुंच ही जाय।
    कवि की रचना सृष्टि में,सीमा कभी न आय।।3।।


    कवी शब्द की शक्ति से, रचता है संसार।
    सुंदर सुंदर शब्द से, रचता काव्य अपार।।4।।


    निर्माता है काव्य का, कवि है रचनाकार।
    करता हैवही सहृदय,गुणअवगुण का सार।।5।।


    कवि की रचना होत है, केवल स्वान्तसुखाय।
    अपने मन के भाव को,अभिव्यक्ति बनाय।।6।।


    कवी कल्पना शक्ति से, रचता है साहित्य।
    इस नश्वर संसार से ,होय अलग ही सत्य।।7।।


    काव्य कवी का कर्म है,होता है कवि धर्म।
    अभिव्यक्ति में सत्यता,यही काव्य का मर्म।।8।।


    होती है यश-लालसा,कवि के मन के माहि।
    भूखा है सम्मान का,और न कछु भी चाहि।।9।।


    कवि पर करती है कृपा, सरस्वती भरपूर।
    उसके आशीर्वाद से , वह पाता है नूर।।10।।

    ©डॉ एन के सेठी

  • सवेरा पर कविता

    सवेरा पर कविता

    सुबह सबेरे दृश्य
    सुबह सबेरे दृश्य

    हुआ सवेरा जानकर , गुंजन करे विहंग।
    चले नहाने सर्वजन,कलकल करती गंग।।


    नित्य सवेरे जो उठे , होता वह नीरोग।
    सुख से वह रहता सदा,करता है सुखभोग।।


    नित्य सवेरे जो जपे, मन से प्रभु का नाम।
    मिट जाते है कष्ट सब ,पाता वह आराम।।


    त्याग करें आलस्य का , जगें सवेरे नित्य।
    शुचि हो प्रभु का नाम ले,करें सभी फिर कृत्य।।


    धन दौलत सुख चाहिए , उठे सवेरे रोज।
    तनमन दोनों स्वस्थ हो,यह ऋषियों की खोज।।

    © डॉ एन के सेठी

  • अलि पर कविता

    अलि पर कविता

    अलि पुष्प के पराग से,लेता है रससार।
    पुष्प पुष्प पर बैठता , करे सदा गुंजार।।


    अलि करता मधुमास में,फूलों का रसपान।
    कोयल मीठा गात है ,करती है गुण गान।।


    कली कली में बैठता,अलि करता मधुपान।
    मस्त मगन हो घूमता,गुन गुन करता गान।।


    अलि बैठा है डाल पर,ग्रहण करे मकरंद।
    नेह लुटाता फूल पर ,होय कमल में बंद।।


    डाली डाली बैठता, अलि है चित्त चकोर।
    पीकर रस मदमस्त हो,करता है फिर शोर।।

    ©डॉ एन के सेठी

  • महँगाई पर दोहे

    महँगाई पर दोहे

    महँगाई की मार से , हर जन है बेहाल।
    निर्धनभूखा सो रहा,मिले न रोटी दाल।।1।।


    महँगाई डसती सदा,निर्धन को दिनरात।
    पैसा जिसके पास है,होती उसकी बात।।2।।


    महँगाई में हो गया , गीला आटा दाल।
    पूँछे कौन गरीब को,जिसका है बेहाल।।3।।


    सुरसा के मुख सी बढ़े,महँगाई की मार।
    देखो तो चारों तरफ , होता हाहाकार।।4।।


    महँगी हर इक चीज है,बढ़े हुए है भाव।
    डर जाते सब देखके, महँगाई के ताव।।5।।


    आटा चावल दाल सब,हुए सभी हैं दूर।
    महँगाई के दौर में,खुशियां चकनाचूर।।6।।


    सभी ओर होने लगी, महँगाई की बात।
    ओर विषय भूले सभी,लगे रहो दिनरात।।7।।


    महँगाई के राज में , स्वप्न गए सब भूल।
    भर जाए बस पेट ही,बाकी सभी फिजूल।।8।।


    निर्धन निर्धन हो रहा ,धनी बना धनवान।
    महँगाई के दौर में, टूट गए अरमान।।9।।


    प्याज टमाटर छू रहे , आसमान से भाव।
    चूल्हा अब कैसे जले , महँगाई के दाँव।।10।।

    ©डॉ एन के सेठी
    बाँदीकुई(दौसा)राज

  • हंसवाहिनी माँ पर कविता

    हंसवाहिनी माँ पर कविता

    माघ शुक्ल बसंत पंचमी Magha Shukla Basant Panchami
    माघ शुक्ल बसंत पंचमी Magha Shukla Basant Panchami

    हंसवाहिनी मात शारदे
    हमको राह दिखा देना।
    वीणापाणि पद्मासना माँ
    तम अज्ञान हटा देना।।
    ???
    विद्यादायिनी तारिणी माँ
    करु प्रार्थना मैं तेरी।
    पुस्तकधारिणी माँ भारती
    हरो अज्ञानता मेरी।।
    ???
    हम सब अज्ञानी है माता
    हम पर तुम उपकार करो।
    तुम दुर्बुद्धि दुर्गुण मिटाकर
    शुचि ज्ञान का दान करो।।
    ???
    हे धवलवस्त्रधारिणी मात
    हम भक्ति करें तुम्हारी।
    दिव्यालंकारों से भूषित
    क्षमा करो भूल हमारी।।
    ???
    शिवा अम्बा वागीश्वरी माँ
    हम सब मानव अज्ञानी।
    रूपसौभाग्यदायिनी अम्ब
    बुद्धिदान करो भवानी।।
    ???
    अन्धकारनाशिनी माते
    अंधकार को दूर करो।
    ज्ञानदायिनी बुद्धिप्रदा माँ
    दोष हमारे दूर करो।।
    ???
    वीणावादिनी सुरपूजिता
    कोकिल कंठ प्रदान करो।
    छेड़ दो तुम वीणा की तान
    एक मधुर झंकार करो।।

    ????????

    ©डॉ एन के सेठी