स्त्री एक दीप-डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’
स्त्री एक दीप स्त्री बदलती रहीससुराल के लिएसमाज के लिएनए परिवेश मेंरीति-रिवाजों मेंढलती रही……स्त्री बदलती रही! सास-श्वसुर के लिए,देवर-ननद के लिए,नाते-रिश्तेदारों के लिएपति की आदतों को न बदल सकीखुद को बदलती रही! इतनी बदल गयी किखुद को भूल गयी!फिरभी किन्तु परंतुचलता ही रहा,समझाइश भी मिलती-दूसरों को नहीं खुद को बदल लो! शायद थोड़ी सी बच … Read more