तुमने पत्थर जो मारा
तुमने पत्थर जो मारा चलो तुमने पत्थर जो मारा वो ठीक था।पर लहर जो क्षरण करती उसका क्या? पीर छूपाये फिरता है खलल बनकर तू,विराने में आह्ह गुनगुनाये उसका क्या?…
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०पुखराज प्राज के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
तुमने पत्थर जो मारा चलो तुमने पत्थर जो मारा वो ठीक था।पर लहर जो क्षरण करती उसका क्या? पीर छूपाये फिरता है खलल बनकर तू,विराने में आह्ह गुनगुनाये उसका क्या?…
बेचकर देखों मुझे जरा पूछने से पहले जवाब बना लिये।यार सवाल तो गजब़ बना लिये। किसी ने पूछा ही नहीं मैं जिंदा हूँ,मगर तुम हसीन ख्वाब बना लिये। और और,और…
गणतंत्र दिवस पर कविता : गणतन्त्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था।…
प्रकृति मातृ नमन तुम्हें हे! जगत जननी, हे! भू वर्णी….हे! आदि-अनंत, हे! जीव धर्णी।हे! प्रकृति मातृ नमन तुम्हेंहे! थलाकृति…हे! जलाकृति,हे! पाताल करणी,हे! नभ गढ़णी।हे! विशाल पर्वत,हे! हिमाकरणी,हे! मातृ जीव प्रवाह…
हे युवा उठो चलो जागो स्वामी विवेकानंद कितनी बातें लिखेंगे??कितनी…. ईमानदारी से।डीजिटल हुई भावनाएँ,इंटरनेट की पहरेदारी से। कुछ बंधक है कुछ ग्रस्त,कुछ तो.. फसे भारी त्रस्त।जाने चहरे की वेदनाएँ क्यों,स्टेट्स…