Posted inहिंदी कविता
तुमने पत्थर जो मारा
तुमने पत्थर जो मारा चलो तुमने पत्थर जो मारा वो ठीक था।पर लहर जो क्षरण करती उसका क्या? पीर छूपाये फिरता है खलल बनकर तू,विराने में आह्ह गुनगुनाये उसका क्या?…
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०पुखराज प्राज के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .