तुमने पत्थर जो मारा

तुमने पत्थर जो मारा

तुमने पत्थर जो मारा चलो तुमने पत्थर जो मारा वो ठीक था।पर लहर जो क्षरण करती उसका क्या? पीर छूपाये फिरता है खलल बनकर तू,विराने में आह्ह गुनगुनाये उसका क्या? बेकार…कहना था तो नज़र ताने क्यों?गौर मुझ पे टकटकी लगाए उसका क्या? मेरी इज्जत…,मेरी आबरू क्या कम है?तो जो खुलकर बोली लगाए उसका क्या? मै … Read more

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बेचकर देखों मुझे जरा

बेचकर देखों मुझे जरा

बेचकर देखों मुझे जरा पूछने से पहले जवाब बना लिये।यार  सवाल तो गजब़ बना लिये। किसी ने पूछा ही नहीं मैं जिंदा हूँ,मगर तुम हसीन ख्वाब बना लिये। और और,और कहते रहे गम को,लो आशुओं का हिसाब बना लिये। मेरी मिलकियत न रहीं वजूद मेरा,समाज से कहों कसाब बना लिये। सौ-सौ सवाल गोजे पे रसीद … Read more

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गणतंत्र दिवस पर कविता

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गणतंत्र दिवस पर कविता : गणतन्त्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था। गणतंत्र पर दोहा वीरों के बलिदान से,मिला हमें गणतंत्र।जन-जन के सहयोग से,बनता रक्षा यंत्र।। गणतंत्र दिवस हो अमर,वीरों को कर याद।अपनों के बलिदान से,भारत है … Read more

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प्रकृति मातृ नमन तुम्हें

प्रकृति मातृ नमन तुम्हें हे! जगत जननी,             हे! भू वर्णी….हे! आदि-अनंत,            हे! जीव धर्णी।हे! प्रकृति मातृ नमन तुम्हेंहे! थलाकृति…हे! जलाकृति,हे! पाताल करणी,हे! नभ गढ़णी।हे! विशाल पर्वत,हे! हिमाकरणी,हे! मातृ जीव प्रवाह वायु भरणी।हे! प्रकृति मातृ नमन तुम्हेतू धानी है,वरदानी है..तुझे ही जुड़े सब प्राणी है।तू वर्षा है,तू ग्रीष्म…हैऔर तू शीतल शीत है…..!तू ही माँ प्राण-दायनी है।हे … Read more

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हे युवा उठो चलो जागो

हे युवा उठो चलो जागो कितनी बातें लिखेंगे??कितनी…. ईमानदारी से।डीजिटल हुई भावनाएँ,इंटरनेट की पहरेदारी से। कुछ बंधक है कुछ ग्रस्त,कुछ तो.. फसे भारी त्रस्त।जाने चहरे की वेदनाएँ क्यों,स्टेट्स के रास्ते गई व्यस्त। किसे फर्क पड़ता,कौन??किसने परोसा है आघात वज्र।युवा क्रांति लुप्त ना हो जायें,सोशल मीडिया क्षरण है बज्र। कुछ तो योग हो,कुछ ध्यान,हिमालय से उच्च … Read more

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