ख़यालों पर कविता
ख़यालों पर कविता तुम मेरे ख़यालों में होते होमैं ख़ुशनसीब होता हूँबात चलती है तुम्हारी जहाँमैं ज़िक्र में होता हूँ . पलकें बंद होती नहीं रातों कोयादों को तुम्हारी आदत हैरातों की सियाही कटती नहींमैं फ़िक़्र में होता हूँ. क़तरा – क़तरा सुकूँ ज़िन्दगी मेंजमा होता है, यक-ब-यक नहींलुट जाता है ये सब अचानकमैं हिज़्र … Read more