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दोपहर पर कविता – राजेश पांडेय वत्स
दोपहर पर कविता (छंद -कवित्त ) छंद तपन प्रचंड मुख खोजे हिमखंड अब, असह्य जलती धरादेखे मुँह फाड़ के!धूप के थप्पड़ मार पड़े गड़बड़ बड़े, पापड़ भी सेक देते पत्थर…
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर0 राजेश पान्डेय वत्स के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .