Tag: #राजुल

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर0 राजुल’ के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • अकारण ही -राजुल

    अकारण ही

    kavita

    अकारण ही खोल देता हूँ फ्रिज का दरवाज़ा
    अकारण ही खोलता रहता हूँ मोबाइल का पैटर्न लॉक
    और सुनता हूँ टप की आवाज़
    अकारण ही बात कर लेता हूँ मरीज़ के तीमारदार से

    अकारण ही मार देता हूँ राह चलते पड़े किसी गोलक को
    देखता हूँ कहाँ जाकर रुकेगा ;
    अगर फिर लक्षित हो सका तो मार देता हूँ एक और लात
    अकारण ही पढ़ लेता हूँ परोसे गए समोसे वाले पेपर का टुकड़ा जिस पर लिखा है प्रश्नोत्तर
    भूख मीठी कि भोजन मीठा से क्या अभिप्राय है?

    अकारण ही नाप लेता हूँ फाफामऊ पुल से नैनी पुल
    नदी से नदी मिल जाती है
    पुल से पुल क्या कभी मिलते होंगे
    न मिलते हों न सही
    मैं तो मिल आता हूँ दोनों से अकारण ही

    आप अपनी बताओ ब्रो,
    अकारण भी कुछ कर -धर रहे हो
    या फिर अकारण ही यंत्रवत जिए जा रहे हो

    मेरी तो पूछो ही मत
    अकारण ही प्रेम करना सीख रहा हूँ सबसे
    मतलब सबसे!

    -राजुल