आखिर क्यों? – सृष्टि कुमारी

आखिर क्यों? क्यों बना दिया मुझे पराया? क्यों कर दिया आपने मेरा दान?एक बेटी पूछ रही पिता से,क्या मेरी नहीं कोई अपनी पहचान? बेटों के आने पर खुशियां मनाते हो,फिर बेटी के आने पर हम क्यों?एक बेटी पूछ रही पिता से,हम भी तो आपके ही अंश हैं, क्यों मुझे पराया कहते हो? कभी मां, कभी … Read more

सृष्टि कुमारी की कवितायेँ

सृष्टि कुमारी की कवितायेँ आज की नारी मैं आज की नारी हूं, इतिहास रचाने वाली हूं,पढ़ जिसे गर्व महसूस करे वो इतिहास बनाने वाली हूं।नारी हूं आज की, खुले आसमान में उड़ना चाहती हूं मैं,बांध अपने जिम्मेदारियों का जुड़ा, अपने सपनों को पूरा करना चाहती हूं मैं।अब अपने जुल्मों का शिकार नहीं बना सकता कोई … Read more