Tag *समय पर कविता

समय की चाल – पद्म मुख पंडा

समय की चाल सहज नहीं, जीवन भी जीना, नित उत्साह जरूरी है।हार गया, जो मन से, मानव की यह आदत, बूरी है।आएंगे तूफ़ान किस घड़ी, किसको भला पता है,निर्भय होकर, रहो जूझते, मिले सफलता पूरी हैज्ञानार्जन है बहुत जरूरी, बिना…

आज के समय की पुकार पर कविता

आज के समय की पुकार पर कविता आओ हम सब एक बनें छोड़ बुराई नेक बनें।जन-जनअपनाकरे सुधार आज समय की यही पुकार।दहेज दानव का नाम मिटायें जलती बहु बेटी बचायेंगे।जागरूक हो जतन करें निज डोली नहीं लुटेरे कहार। सब कोई…

दोपहर पर कविता – राजेश पांडेय वत्स

दोपहर पर कविता (छंद -कवित्त ) तपन प्रचंड मुख खोजे हिमखंड अब, असह्य जलती धरादेखे मुँह फाड़ के! धूप के थप्पड़ मार पड़े गड़बड़ बड़े, पापड़ भी सेक देते पत्थर पहाड़ के! खौल खौल जाते घरबार जग हाहाकार, सिर थाम…

समय सतत चलता है साथी

समय सतत चलता है साथी गीत(१६,१६) कठिन काल करनी कविताई!कविता संगत प्रीत मिताई!! समय सतत चलता है साथी,समय कहे मन त्याग ढ़िठाई।वक्त सगा नहीं रहा किसी का,वन वन भटके थे रघुराई।फुरसत के क्षण ढूँढ करें हमकविता संगत प्रीत मिताई। समय…