खादीधारी पर कविता

खादीधारी पर कविता समय-समय परपनप जाते हैंनए-नए नाम सेनए-नए वायरसजो करते हैं संक्रमितइंसानों कोबिना जाति-धर्म काभेदभाव किएढूंढ़ा जाता है उपचारइन वायरस का संसद-विधानसभाओं मेंचौकड़ी मारे बैठे वायरसजाति-धर्म के नाम परकरते हैं संक्रमितमानवता कोनहीं हुआ आज तककोई अनुसंधानइनके उपचार के लिएसर्वाधिक खतरनाक हैंये खादीधारी वायरसदिन प्रतिदिन इनका प्रकोपबढ़ता ही जा रहा है -विनोद सिल्ला©

कर्ज पर कविता

कर्ज पर कविता कर्ज था कर्ज थाकर्ज हीउस किसान कामर्ज थाकह गया अलविदाजहान को कर्ज थाकर्ज हीउस पूंजीपति कामर्ज थाकह गया अलविदाभारत को कर्ज थाकर्ज हीउस बैंक कामर्ज थाकह गया अलविदाअस्तित्व को -विनोद सिल्ला©

मेरा परिचय पर कविता-विनोद सिल्ला

मेरा परिचय पर कविता -विनोद सिल्ला चौबीस मई तारीख भई,उन्नीस सौ सत्ततर सन।सन्तरो देवी की कोख सेविनोद सिल्ला हुआ उत्पन्न।। माणक राम दादा का लाडला,उमेद सिंह सिल्ला का पूत।भाटोल जाटान में पैदा हुआ,क्रियाकलाप नाम अनुरूप।। सन् उन्नीस सौ बानवे में ,हो गया दसवीं पास।सादा भोला स्वभाव है,उन्नति करने की आस।। कक्षा बारहवीं पास कर,जे०बी०टी० में … Read more

मुलाकात पर कविता

मुलाकात पर कविता मैं जब भीफरोलता हूँअलमारी में रखेअपने जरूरी कागजाततो सामने आ ही जाती हैएक चिट्ठीजो भेजी थीवर्षों पहलेमेरे दिल केमहरम नेभले ही उससेमुलाकात हुएहो गए वर्षोंपर चिट्ठीकरा देती है अहसासएक नई मुलाकात का -विनोद सिल्ला©

साहब कांसीराम पर कविता

साहब कांसीराम पर कविता वो साईकिल चलाने वालासाहब कांसीराम था। वंचित को हक दिलाने वालासाहब कांसीराम था। बामसेफ को बनाने वालासाहब कांसीराम था। नीला झंडा उठाने वालासाहब कांसीराम था। खून में उबाल लाने वालासाहब कांसीराम था। शुद्र मन पर छाने वालासाहब कांसीराम था। भीम की याद दिलाने वालासाहब कांसीराम था। हमें हुक्मरान बनाने वालासाहब कांसीराम … Read more