यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर 0 #विनोद सिल्ला के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
महंगाई महंगी दालें क्यों रोज रुलाती।सब्जी दूर खड़ी मुंह चढाती।। अब सलाद अय्याशी कहलाता है,महंगाई में टमाटर नहीं भाता है,मिर्ची बिन खाए मुंह जलाती।। मिट्ठे फल ख्वाबों में ही आते हैं,आमजन इन्हें नहीं खरीद पाते हैं,खरीदें तो नानी याद है आती।। कङवे करेलों के सब दर्शन करलो,आम अनार के फोटो सामने धरलो,सुनके कीमत, भूख भाग … Read more
दहेज दानव ये दहेज दानव हजारों कन्याएं खा गया।ये बदलता माहौल भी रंग दिखा गया।। हर रोज अखबारों में ये समाचार है,ससुराल जाने से कन्या का इंकार है,क्यों नवविवाहितों को स्टोव जला गया।। बिकने को तैयार लड़के हर तरह से,मांगें मोटर कार अड़के हर तरह से,हर नौजवान अपना मोल लिखा गया।। चाहिए माल साथ में … Read more
कवि होना नहीं है साधारण नहीं है साधारण कवि होनानहीं है साधारणअपेक्षित हैं उसमेंअसाधारण विशेषताएंमात्र कवि होना हीबहुत बड़ी बात हैलेकिन फिर भीआत्मश्लाघा के मारेलगते हैं नवाजनेखुद को हीराष्ट्रीय कविवरिष्ठ साहित्यकार केखिताबों सेनाम के आगे-पीछेलगा लेते हैंऐसे उपनामजिन पर स्वयंनहीं उतरते खरेसम्मानित होने वकरने का कारोबारले जाता हैपतन के रसातल मेंउनसे जनकल्याण केसृजन कीअपेक्षा … Read more