यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर 0 #विनोद सिल्ला के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
कैसी दीवाली / विनोद सिल्ला कैसी दीवाली किसकी दीवालीजेब भी खाली बैंक भी खाली हर तरफ हुआ है धूंआ-धूंआपर्यावरण भी दूषित है हुआ जीव-जन्तु और पशु-पखेरआतिशी दहशत में हुए ढेर कितनों के ही घर बार जलेनिकला दीवाला हाथ मले अस्थमा रोगी तड़प रहे हैंउन्मादी अमन हड़प रहे हैं नकली मावा, नकली पनीरखाई मिठाई हो कर … Read more
महंगाई महंगी दालें क्यों रोज रुलाती।सब्जी दूर खड़ी मुंह चढाती।। अब सलाद अय्याशी कहलाता है,महंगाई में टमाटर नहीं भाता है,मिर्ची बिन खाए मुंह जलाती।। मिट्ठे फल ख्वाबों में ही आते हैं,आमजन इन्हें नहीं खरीद पाते हैं,खरीदें तो नानी याद है आती।। कङवे करेलों के सब दर्शन करलो,आम अनार के फोटो सामने धरलो,सुनके कीमत, भूख भाग … Read more
दहेज दानव ये दहेज दानव हजारों कन्याएं खा गया।ये बदलता माहौल भी रंग दिखा गया।। हर रोज अखबारों में ये समाचार है,ससुराल जाने से कन्या का इंकार है,क्यों नवविवाहितों को स्टोव जला गया।। बिकने को तैयार लड़के हर तरह से,मांगें मोटर कार अड़के हर तरह से,हर नौजवान अपना मोल लिखा गया।। चाहिए माल साथ में … Read more